तालीम के साथ जिंदगी गुजारने का सलीका सीख रहे बुनकरों के 200 बच्चे

चार मस्जिदों में चल रही मकतब ‘इस्लामी तालीमात’ की क्लास

गोरखपुर। शहर के पसमांदा इलाके रसूलपुर व नथमलपुर में पिछले एक साल से मजहबी तालीम की एक नई तरह की अलख जल रही है। कम संसाधनों में बेहतरीन दीनी तालीम दी जा रही है। रसूलपुर व नथमलपुर इलाके की चार मस्जिदों में बुनकरों व गैर बुनकरों के करीब 200 मुस्लिम बच्चे मजहबी तालीम के साथ जिंदगी गुजारने का सलीका सीख रहे हैं। जो बच्चे दीनी तालीम से काफी दूर थे उनकी जिंदगी में मकतब ‘इस्लामी तालीमात’ उजाला बनकर आया है।

तंजीम ‘पासबाने अहले सुन्नत रसूलपुर’ द्वारा रसूलपुर जामा मस्जिद, रसूलपुर छावनी दशहरीबाग, नथमलपुर, कलंदर मशीन रसूलपुर की मस्जिदों में 23 मार्च 2017 को मकतब ‘इस्लामी तालीमात’ कायम किया गया। जिसके बेहतर परिणाम सामने आए। रसूलपुर जामा मस्जिद में असर व मगरिब के वक्त करीब 100 बच्चे तालीम हासिल कर रहे है। वहीं तीन अन्य मस्जिदों में करीब 100 बच्चे दीनी तालीम हासिल कर रहे है। जिनकी तादाद बढ़ती जा रही है। बच्चों को दावते इस्लामी की किताबे पढ़ाई जाती है। यह तालीम मुसलमानों के उन बच्चों के लिए बहुत कारगार सिद्ध हो रही है जिन्होंने कभी मदरसे की शक्ल नहीं देखी। बच्चों को अरबी, उर्दू की तालीम बेहतरीन अंदाज में दी जा रही है। जिंदगी जीने का ढ़ग (खाना-पीना, उठना, बैठना, सोना आदि) और दूसरो का अदब करने का तरीका सीखाया जा रहा है। यह बच्चे खुद तो तालीम हासिल कर ही रहे हैं साथ ही अपने घर वालों के लिए भी मिसाल बने हुए है। उन्हें भी जिंदगी गुजारने का सलीका सीखा रहे है।

तंजीम के सदर मौलाना जहांगीर अहमद अजीजी ने बताया कि जल्द ही बुनकर बाहुल्य अन्य जगहों पर यह मकतब खोला जाएगा। बच्चों को तालीम देने के लिए हाफिज रिजवान, हाफिज मो. असलम, हाफिज मो. तनवीर आलम, हाफिज मो. वसीम सहित सात शिक्षक रखे गए है। खुशी की बात यह है कि मकतब ‘इस्लामी तालीमात’ का पहला सालाना जलसा 14 मई को रसूलपुर जामा मस्जिद के पास होने जा रहा है। जिसमें बच्चे सांस्कृतिक प्रस्तुति देंगे। इस मौके पर बेहतरीन परिणाम लाने वाले मकतब के बच्चों को मुख्य अतिथियों द्वारा पुरस्कारों से नवाजा जाएगा। शाम 7:00 पुरस्कार वितरित किया जाएगा। एशा की नमाज के बाद रात करीब 9:00 बजे जलसा-ए-आम होगा। जिसमें लखनऊ के मौलाना मो. आबिद रज़ा व कुशीनगर के हाफिज मो. अरशद रज़ा नूरी शिरकत करेंगे। उन्होंने बताया कि तंजीम से करीब 25-30 लोग जुड़े है जो बच्चों के तालीम के लिए बेहद जागरूक है। जिनमें मो. शाकिब खान, मो. शफक, हाफिज रजीउल्लाह आदि नुमाया नाम है। इसके अलावा अन्य लोग भी मददगार है।

इन मस्जिदों में चलती है इस्लामी तालीमात की क्लास

  1. जामा मस्जिद रसूलपुर
  2. मस्जिद-ए-हुसैन नथमलपुर
  3. मोती मस्जिद रसूलपुर दशहरी बाग
  4. कलंदर वाली मस्जिद रसूलपुर कलंदर मशीन

मौलाना जहांगीर ने बताया कि मुसलमानों का खोया वकार केवल तालीम ही दिला सकती है। दुनियावी तालीम शोहरत इज्जत दिला सकती है वहीं दीनी तालीम अच्छा इंसान व अच्छा शहरी बनाने में मदद करती है व उच्च चारित्रिक विकास करती है। अफसोस मुसलमान दुनियावी व दीनी तालीम के मामले में पीछे है। उन्हें इज्जत सिर्फ और सिर्फ तालीम से मिलेगी। यह मकतब एक मिशन है। इससे सभी लोगो को जुड़ना चाहिए।