BRD – करोड़ों का शिलान्यास-उद्घाटन पर पीएमआर सेंटर के 11 कर्मी 36 महीने के वेतन से महरूम

संविदा कर्मियों के 36 महीने का बकाया वेतन भुगतान को लेकर BRD मेडिकल कालेज प्रशासन, अफसर और मंत्री सिर्फ यही कहते हैं कि “देखते हैं, देखेंगें”।

गोरखपुर। बीआरडी मेडिकल कालेज में करोड़ो रूपये के विभिन्न योजनाओं का शिलान्यास और उद्घाटन हो रहा है लेकिन बीआरडी मेडिकल कालेज के प्रिवेंटिव मेडिसिन एवं रिहैबिलिटेशन सेंटर (पीएमआर) के 11 संविदा कर्मियों को 36 महीने का बकाया वेतन का भुगतान नहीं हो रहा है। वेतन के  बारे में ज्ञापन देने पर बीआरडी मेडिकल कालेज प्रशासन से लेकर अफसर और मंत्री इस बारे में सिर्फ यही कहते हैं कि ” देखते हैं , देखेंगें “।

100 बेड के इंसेफेलाइटिस वार्ड और 12 नम्बर एपीडेमिक वार्ड के कर्मचारियों को एक वर्ष से एरियर का भुगतान नहीं हुआ

यही नहीं बीआरडी मेडिकल कालेज के बाल रोग विभाग के अन्तर्गत आने वाले 100 बेड के इंसेफेलाइटिस वार्ड और 12 नम्बर एपीडेमिक वार्ड में संविदा पर कार्य करने वाले चिकित्सकों, कर्मचारियों, नर्सो को एक वर्ष का एरियर का भुगतान भी नहीं हो पा रहा है।

प्रिवेंटिव मेडिसिन एवं रिहैबिलिटेशन सेंटर (पीएमआर) के 11 संविदा कर्मियों को 36 महीने का वेतन नहीं मिला

प्रिवेंटिव मेडिसिन एवं रिहैबिलिटेशन सेंटर (पीएमआर) के 11 संविदा कर्मियों को 36 महीने का वेतन नहीं मिला है। उन्हें आखिरी बार मार्च 2015 में वेतन मिला था। इस वर्ष सिर्फ मार्च महीने से जून तक की सेलरी दी गई है। पहले के बकाया वेतन के बारे में कोई कुछ नहीं बोल रहा है।

कुछ महीनों के अन्दर प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा रजनीश दुबे कई बार मेडिकल कालेज आ चुके हैं। उनके सामने हर बार बकाया वेतन का मामला उठा लेकिन उन्होंने यही कहा कि इसे देख रहे हैं।

डीएम ने कहा कि मार्च 2018 से आगे की सेलरी अब मिलेगी, पुराने तीन वर्ष की सेलरी दिलाने का प्रयास किया जाएगा।बकाया वेतन के लिए जब पीएमआर संविदा कर्मियों ने मुख्यमंत्री को ज्ञापन दिया तो उन्होंने इस मामले को देखने का आश्वासन दिया।

समय पर वेतन न मिलने पर तीन चिकित्सक नौकरी छोड़ चले गए

पीएमआर के 11 संविदा कर्मियों का काम इंसेफेलाइटिस व दूसरी बीमारियों से विकलांग बच्चों का इलाज करना है। विभाग की स्थापना के समय 37 पद सृजित किए गए लेकिन यहां पर सिर्फ 17 पदों पर ही नियुक्ति हुई। यह नियुक्ति संविदा पर की गई। समय पर वेतन न मिलने पर तीन चिकित्सक नौकरी छोड़ चले गए। अब यहां पर चार थेरेपिस्ट, दो आर्थेरिस्ट, एक प्राथेरिस्ट व पांच चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी काम कर रहे हैं।

100 बेड के इंसेफेलाइटिस वार्ड और 12 नम्बर एपीडेमिक वार्ड में संविदा पर 300 चिकित्सक, नर्स, कर्मचारी कार्यरत हैं। इनको एनएचम मद से वेतन, एरियर मिलता है। इनको भी एक वर्ष का एरियर बकाया है।

पिछले वर्ष अगस्त माह में आक्सीजन कांड के पहले छह माह का वेतन बकाया था

जब से इनकी नियुक्ति हुई है तभी से उनको वेतन, एरियर, बोनस नियमित रूप से नहीं मिल रहा था। पिछले वर्ष अगस्त माह में आक्सीजन कांड के पहले छह माह का उनका वेतन बकाया था। इस घटना के कुछ दिन पहले ही उन्हें वेतन मिला था। इसके बाद से उन्हें वेतन तो नियमित हुआ लेकिन दो वर्ष से एरियर और एक वर्ष का रायल्टी बोनस नहीं मिला।

अप्रैल महीने में संविदा चिकित्सकों, नर्सों व कर्मचारियों ने जिलाधिकारी जो कि जिला स्वास्थ्य समिति के अध्यक्ष भी होते हैं, उन्हें पत्र लिखकर बकाया मार्च महीने का वेतन, एरियर और बोनस दिलाने की मांग की थी।

इस सम्बन्ध में जब ख़बरें छपीं तो मार्च महीने का वेतन और बोनस का भुगतान हुआ लेकिन 2016-17 और 2017-18 का एरियर का भुगतान बकाया रहा। एक महिना पहले वर्ष 2016-2017 का एरियर मिला लेकिन 2017-18 का एरियर अभी भी बकाया है।

संविदा चिकित्सकों, कर्मचारियों और नर्सों को हर वर्ष वेतन में पांच फीसदी बढ़ोत्तरी का एरियर देने का प्राविधान है। इस तरह उन्हें वर्ष 2017-18 का 7 लाख 50 हजार रूपए एरियर बकाया है।

इन चिकित्सा कर्मियों को वेतन भी काफी देर से मिलता है। अक्सर महीने के वेतन का भुगतान 15 तारीख के बाद ही हो पाता है।