सात दिनों की निगरानी के बाद आउटसोर्सिंग के ड्राइवर को डीजल की पर्ची बांटते हुए पकड़ा
गोरखपुर। नगर निगम में डीजल को गोलमाल का एक बार फिर खुलासा हुआ है। बेतियाहाता पार्षद ने सात दिनों की निगरानी के बाद आउटसोर्सिंग के ड्राइवर को डीजल की पर्ची बांटते हुए पकड़ा। पर्ची पर न तो गाड़ी का नंबर था न ही ड्राइवर का नाम। पार्षद ने लाखों रुपये के गोलमाल का आरोप लगाते हुए महापौर और अपर नगर आयुक्त से प्रमाण के साथ शिकायत की है।
बेतियाहाता पार्षद विश्वजीत तिवारी पिछले कई महीनों ने नगर निगम के जिम्मेदारों से डीजल चोरी की शिकायत कर रहे थे। जिम्मेदार आरोप को खारिज कर प्रमाण प्रस्तुत करने की बात कह रहे थे। जिसके बाद पार्षद डीजल के गोलमाल पर नजर रखे हुए थे। सुबह वह अचानक नौसढ़ स्थित उस पेट्रोप पंप पर पहुंचे, जहां निगम की गाड़ियों में डीजल भरा जाता है। पंप से कुछ दूरी पर आउटसोर्सिंग का एक ड्राइवर सफाई निरीक्षक पीएन गुप्ता और एसएस गुप्ता के हस्ताक्षर वाले पर्ची ड्राईवरों को बांट रहा था।
पर्ची पर हस्ताक्षर के सिवा कुछ और नहीं लिखा हुआ था। जबकि पर्ची पर ड्राइवर का नाम और गाड़ी नंबर लिखा हुआ होना चाहिए। इतना ही नहीं पर्ची खुद सफाई निरीक्षकों को ही वितरित किया जाना चाहिए। पार्षद ने पूरे गोलमाल की वीडियो बनाकर महापौर और अपर नगर आयुक्त को भेज दिया। पार्षद का आरोप है कि नगर निगम ऐसे ही कंगाल नहीं हुआ है। पूरे साल में नौ करोड़ रुपये का डीजल फूंका जा रहा है। पिछले काफी दिनों ने निगम के अधिकारियों से मांग रहा हूं कि मेरे वार्ड में कितनी गाड़ियां आती हैं। उनपर कितना डीजल खर्च होता है कोई बता नहीं रहा है।
9 करोड़ रुपये डीजल पर होता है खर्च
नगर निगम हर साल डीजल पर करीब 9 करोड़ रुपये खर्च करता है। गाड़ियों में डीजल की चोरी रोकने के लिए तीन साल पहले करीब 12 लाख रुपये खर्च कर जीपीएस लगाया गया था। पार्षद का आरोप है कि निगम की गाड़ियों में लगे जीपीएस को ड्राइवरों ने खराब कर दिया है।
इस सम्बंध में महापौर सीताराम जायसवाल ने कहा कि पार्षद की शिकायत पर जांच कराई गई है। डीजल चोरी का आरोप गलत है। सफाई निरीक्षक के ड्यूटी पर नहीं आने के चलते दूसरा कर्मचारी पर्ची बांट रहा है। अब निर्देशित कर दिया गया है कि जिसकी ड्यूटी है वह ही पर्चीं बांटेगा। सभी गाड़ियों में जीपीएस लगा हुआ है। वह ठीक तरीके से काम कर रहा है। किस गाड़ी में कितना डीजल भरा जा रहा है, वह निगम के कम्प्यूटर में दर्ज हो जाता है। फिजूलखर्ची हुई तो दोषियों पर कार्यवाही करेंगे।