ईद की रौनक, बाज़ारो में हो रही जमकर खरीददारी

ईद की खरीदारी के लिए दिन रात बाज़ार गुलज़ार रहे

गोरखपुर। रमजानुल मुबारक का बरकतों वाला महीना धीरे-धीरे रुखस्त हो रहा है। रोजेदारों की इबादत में कोई कमी नहीं है। ईद की खरीददारी जोर पकड़ चुकी है। बाजार रात-रात भर गुलजार रह रहे है। अमीर-गरीब सभी चाहते है ईद में कोई कमी न रह जाए इसलिए लोग बाकायदा सामानों की लिस्ट बना कर खरीददारी कर रहे हैं।

शाहमारुफ और रेती में तो अमीनाबाद जैसा नजारा दिख रहा है।

रोजा होने के बाद भी बाजार में खरीददारी के लिए जा रहे हैं। दिन में गर्मी और धूप की वजह से रात में भीड़ ज्यादा उमड़ रही है।

दिन में भी बाजार भरा रह रहा है। दर्जियों की दुकानें देर रात तक खुली रह रही हैं। शाहमारुफ और रेती में तो अमीनाबाद जैसा नजारा दिख रहा है। फुटपाथ के दुकानदार चिल्ला-चिल्ला कर ग्राहकों को बुला रहे है।

इंसानियत के लिए जरूरी एहसास का त्यौहार ईद

नार्मल स्थित दरगाह हजरत मुबारक खां मस्जिद में रमज़ान शरीफ के 25वें दीन की बाते कार्यक्रम में मुफ्ती मोहम्मद अजहर शम्सी ने कहा कि ईद कोई मजहबी त्यौहार ही नहीं है। यह इंसानियत के लिए बेहद जरूरी एहसासों का त्यौहार भी है। इस्लाम बताता है कि आपकी दौलत, सिर्फ आपकी अपनी दौलत नहीं है। यदि उसकी जरूरत आपके भाइयों, रिश्तेदारों और पड़ोसियों को है, तो वह उनकी भी है। इस्लाम में जकात और फितरा का चलन भी इसलिए है कि इस फिलॉसफी को नियमबद्ध किया जा सके। जिससे लोग गरीबों को ख्याल रख सकें और उनके प्रति हमदर्दी रखें। मुसलमानों को अपनी आमदनी का 2.5 पर्सेंट जकात के रूप में गरीबों को देना चाहिए। एक आदमी को 45 रुपया सदका-ए-फित्र अदा करना है।