असहायों की मदद करने वाली महिला के रूप में हजरत खदीजा का योगदान उल्लेखनीय

अपने व्यापार से हुई कमाई को हजरत खदीजा गरीब, अनाथ, विधवा और बीमारों में बांटा करतीं थीं – मौलाना मकसूद आलम मिस्बाही

गोरखपुर। दरगाह हजरत मुबारक खां शहीद मस्जिद में रविवार को रमज़ान के विशेष शरई अहकाम दर्स के दौरान रोजे के मसायल बताये गए और खास तौर पर पैगंबर-ए-इस्लाम हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम की पहली बीवी उम्मुल मोमिनीन (मोमिनों की मां) हजरत खदीजा तुल कुबरा रजियल्लाहु अन्हा की जिंदगी पर रोशनी डाली गयी। उनका यौमे विसाल (निधन) दसवें रमजान को हुआ था।

इस मौके पर मौलाना मकसूद आलम मिस्बाही ने बताया कि हजरत खदीजा बहुत बुलंद किरदार, आबिदा और जाहिदा महिला थीं। अपने व्यापार से हुई कमाई को हजरत खदीजा गरीब, अनाथ, विधवा और बीमारों में बांटा करतीं थीं। उन्होंने अनगिनत गरीब लड़कियों की शादी का खर्च भी उठाया और इस तरह एक बेहद नेक और सबकी मदद करने वाली महिला के रूप में इस्लाम ही नहीं पूरे विश्व के इतिहास में उनका उल्लेखनीय योगदान रहा। उन्होंने गरीब मिस्कीनों की मिसाली इमदाद (मदद) की। हजरत खदीजा का मक्का शरीफ में कपड़े का बहुत बड़ा व्यापार था। उनका कारोबार कई दूसरे मुल्कों तक होता था। हजरत खदीजा की बतायी तालीमात पर अमल करके दुनिया की तमाम महिलाएं दीन व दुनिया दोनों संवार सकती है।

मुफ्ती मोहम्मद अजहर शम्सी ने बताया कि पैगम्बर-ए-इस्लाम हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम भी तिजारत किया करते थे। एक रिवायत के मुताबिक हजरत खदीजा के एक रिश्तेदार ने तिजारत में पैगम्बर-ए-इस्लाम से कांट्रेक्ट की सलाह दी। हजरत खदीजा ने सलाह मान ली और पैगम्बर-ए-इस्लाम से तिजारती कांट्रेक्ट हो गया। पैगम्बर-ए-इस्लाम ने कारोबार की बागडोर संभाली तो मुनाफा बहुत बढ़ गया। उनके अखलाक, किरदार, मेहनत, लगन और ईमानदारी से मुतास्सिर होकर हजरत खदीजा ने हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम के चाचा के पास हजरत मोहम्मद साहब से अपने निकाह का पैगाम भेजा, जिसे उन्होंने कुबूल कर लिया। उस वक्त पैगंबर-ए-इस्लाम हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम की उम्र 25 साल जबकि हजरत खदीजा की उम्र 40 साल थी। वह बेवा (विधवा) थीं। इस तरह हजरत खदीजा हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम की पहली बीवी बनीं।

नूरी जामा मस्जिद अहमदनगर चक्शा हुसैन में दर्स के दौरान मौलाना शादाब अहमद रजवी ने बताया कि पैगम्बर-ए-इस्लाम ने जब ऐलाने नुबूवत किया तो महिलाओं में सबसे पहले ईमान लाने वाली महिला हजरत खदीजा थीं। खातून-ए-जन्नत हजरत फातिमा रजियल्लाहु अन्हा उन्हीं की बेटी हैं।

इस मौके पर वकील अहमद, मो. मुस्लिम, जमशेद अहमद, अब्दुल्लाह, नबी हुसैन, हाजी इशा मोहम्मद, फिरोज अहमद, रहमत अली सहित तमाम लोग मौजूद रहे।