यहां तो है, बिना लाइसेंस के होटलों की भरमार

जिला मुख्यालय पर एक दर्जन से अधिक होटलों का संचालन हो रहा है जिनमें से केवल दो होटल ही सरकारी लाइसेंस धारक हैं।

अम्बेडकरनगर। अम्बेडकरनगर न कोई धार्मिक स्थल और न ही कोई पर्यटन केंद्र, फिर भी जिला मुख्यालय पर होटलों की भरमार, वह भी इनका संचालन बिना किसी समुचित लाइसेंस के हो रहा है। इन सबके बावजूद जिला प्रशासन मौन। सवाल यह उठता है कि आखिर सरकारी अभिलेखों में गैर पंजीकृत इन होटलों का संचालन किसकी कृपा से हो रहा है। अहम सवाल यह भी है कि लाखों की लागत से बने इन होटलों का खर्च कँहा से निकलता है। सवाल गम्भीर है तो जबाब भी आज नही तो कल सामने आएगा ही। बिना लाइसेंस के चल रहे इन होटलों के पास न तो पर्यटन विभाग का लाइसेंस है और न ही अग्निशमन विभाग का अनापत्ति प्रमाण पत्र। ऐसे में यदि कोई बड़ी घटना हुई तो आखिर जिम्मेदार कौन होगा।

जिला मुख्यालय का रेलवे स्टेशन इलाका होटलों का पर्याय बनता जा रहा है। केवल इसी क्षेत्र में एक दर्जन से अधिक होटलों का संचालन हो रहा है जिनमें से केवल दो होटल ही सरकारी लाइसेंस धारक हैं। शेष सभी होटल जिला प्रशासन की कृपा पर बिना किसी लाइसेंस के संचालित हो रहे हैं। इन होटलों के आय और व्यय का ब्योरा भी पर्यटन विभाग के पास नही रहता है।

सरकारी राजस्व को चूना लगा रहे इन होटल संचालकों पर आज तक कोई कार्यवाही नही की गई। इसके अलावां शहजादपुर में भी होटलों की भरमार है। इन होटलों में कुछ ऐसे बड़े होटल भी शामिल है जो काफी नामी गिरामी हैं लेकिन इनका भी संचालन बिना लाइसेंस के हो रहा है। देखना यह है कि बिना लाइसेंस के चल रहे इन होटलों पर जिला प्रशासन की वक्र दृष्टि कब पड़ती है। जिला प्रशासन ने केवल सांई प्लाजा, शिवा गेस्ट हाउस, होटल पंडित, होटल खजुराहों, अविरल पैलेस व होटल विनायक ग्रान्ड को ही सराय एक्ट के तहत लाइसेंस जारी किया है। इसके अलावां जिले में संचालित होटल अवैध की श्रेणी में आते हैं।