Kullu City : कुलंत पीठ का नाम कैसे पड़ा कुल्लू शहर जानते है इतिहास

Kullu City : कुलंत पीठ का नाम कैसे पड़ा कुल्लू शहर जानते है इतिहास

Kullu City : हिमाचल प्रदेश का एक ऐसा जिला जो अपने खूबसूरत पर्यटन स्थानों के कारण विश्व प्रसिद्ध है। हम सभी लोग इस क्षेत्र को आज कुल्लू के नाम से जानते हैं, लेकिन क्या आप जानते है कि इस क्षेत्र का यह नाम कैसे पड़ा और कुल्लू का इतिहास कितना पुराना है।

Kullu City : हिमाचल प्रदेश का खूबसूरत कुल्लू शहर न केवल अपनी प्राकृतिक सुंदरता और समृद्धि संस्कृति के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि इसके नाम के पीछे छिपी ऐतिहासिक और पौराणिक कहानी भी लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र है। कुल्लू का प्राचीन नाम ‘कुलंत पीठ’ था, जिसका अर्थ है “पृथ्वी का अंतिम छोर”। मान्यता है कि इस स्थान को इसके धार्मिक और भौगोलिक महत्व के कारण यह नाम दिया गया था।

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पौराणिक कथा

पुराणों में कुल्लू को ‘कुलांत पीठ’ के रूप में वर्णित किया गया है। किंवदंती है कि इस स्थान को देवताओं ने ‘पृथ्वी का अंतिम निवास’ माना था। एक अन्य कथा के अनुसार, महर्षि वेदव्यास ने भविष्यवाणी की थी कि यह स्थान देवताओं की भूमि होगा, जहां शांति और आध्यात्मिकता का वास होगा।

‘कुल्लू’ नाम कैसे पड़ा?

‘कुलंत पीठ’ नाम कालांतर में बदलकर ‘कुल्लू’ हो गया। इतिहासकारों का मानना है कि भाषा और उच्चारण में बदलाव के कारण इस नाम का संक्षिप्तीकरण हुआ। इसके अलावा, स्थानीय जनमानस और संस्कृति में सरल शब्दों का उपयोग आम रहा है, जिससे ‘कुलंत पीठ’ का धीरे-धीरे ‘कुल्लू’ में रूपांतरण हो गया।

इतिहास में कुल्लू का महत्व

कुल्लू का ऐतिहासिक महत्व भी कम नहीं है। गुप्तकालीन शासकों से लेकर स्थानीय राजवंशों तक, कुल्लू ने विभिन्न ऐतिहासिक घटनाओं को देखा है। कुल्लू का उल्लेख चीनी यात्री ह्वेनसांग के यात्रा-वृत्तांत में भी मिलता है, जिन्होंने इसे एक समृद्ध सांस्कृतिक और व्यापारिक केंद्र बताया।

आज के परिप्रेक्ष्य में कुल्लू

आज कुल्लू अपनी अद्वितीय संस्कृति, हस्तशिल्प, और उत्सवों जैसे दशहरा महोत्सव के लिए जाना जाता है। यह स्थान पर्यटकों के बीच भी बेहद लोकप्रिय है, जहां लोग इसकी हरियाली, हिमालय की चोटियों और शांत वातावरण का आनंद लेने आते हैं।

नाम के साथ जुड़ी पहचान

कुल्लू का नाम केवल एक पहचान नहीं है, बल्कि यह उस भूमि का प्रतीक है जो आध्यात्मिकता, सांस्कृतिक धरोहर और प्राकृतिक सुंदरता को समेटे हुए है। ‘कुलंत पीठ’ से ‘कुल्लू’ तक की यात्रा न केवल इसके नाम में बदलाव की कहानी है, बल्कि यह इस भूमि के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विकास की भी गाथा है। कुल्लू का यह रोचक इतिहास इसे हिमाचल प्रदेश के सबसे खास स्थानों में से एक बनाता है।

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