पाली पचदेवरा । अनंगपुर के पूर्वी छोर पर स्थित प्रचीन एबं भव्य सिद्धिदात्री मां दुर्गा मंदिर का अपना धर्मिक,पौराणिक,ऐतिहासिक अलग ही महत्व है। इस मंदिर का आस पास व दूर दराज के क्षेत्र में धर्मिक महत्त्व है। लोगों की आस्था और श्रद्धा के प्रतीक इस मंदिर में शारदिय और बासंतिक नवरात्र तथा सावन के अलावा पूरे बर्ष लोगों का दर्शन पूजन का सिलसिला चलता रहता है। और हर अमावस को यहाँ मेला भी लगता है।
खुद में ऐतिहासिकता, पौराणिकता,धार्मिकता समेटे इस मंदिर का महत्त्व कुछ अलग ही है व्यवसाई मुन्ना सिंह राठौर बताते हैं कि हमारे पूर्वजों ने बताया था कि हजारों बर्ष पहले राजा अनंगपाल को कुष्टरोग हो गया था वह मुर्तजानगर में रहने लगे और मां दुर्गा के मंदिर के समीप प्रतिदिन तालाब में स्नान करके पूजन करते थे । धीरे धीरे उनका कुष्टरोग सही हो गया था। बताते हैं कि यह मंदिर रातों रात बनकर तैयार हो गया था। मुर्तजानगर में मंदिर से थोड़ी दूरी पर राजा अनंगपाल का महल हुआ करता था।जो ऊँचे टीले के रूप में आज भी मौजूद है।
मान्यता है कि सिद्धिदात्री मां दुर्गा के दर्शन मात्र से सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। मंदिर के अंदर विराजमान मातारानी का जो सच्चे मन से दर्शन कर लेता है उसकी ममनोकामना पूरी हो जाती है। मान्यता है कि जो भी महिलाएं मातारानी की आराधना करती हैं उनकी खाली गोद भर जाती है। इन सभी मान्यताओं के बाद से ही मंदिर का महत्त्व दिन पर दिन बढ़ता ही जा रहा है।
मंदिर के पुजारी धर्मपाल के अनुसार आदि शक्ति मां की आराधना मात्र से भक्तों की झोली भर जाती है। निः संतान जो भक्त दरबार मे हाजिरी लगाता है उसका आंगन किलकारियों से गूंजने लगता है।
मातारानी के भक्त निहाल बाजपेयी ने बताया कि आदि शक्ति के दरबार मे जब से हाजिरी लगा रहा हूँ तब से परिबार में सुख समृद्धि की बाढ़ सी आ गयी है। प्रत्येक नवरात्र में परिवार के साथ मैं आदि शक्ति के दरबार मे हाजिरी लगाता हूं।