हजरत अली ज्ञान का भंडार
गोरखपुर। “हरम की गोद में इस तरहा बूतुराब आए, नबी के क़ल्ब पे जैसे कि अल किताब आए,
विलादते शहे मरदां का ज़िक्र काबे में, जो दर से पूछो तो दीवार से जवाब आए।
रविवार को अपने मख़सूस अंदाज में हजरत अली के जन्मदिन के अवसर पर आयोजित होने वाले कार्यक्रमों की श्रृंखला का एक कार्यक्रम महफिल-ए-मिलाद जाफरा बाजार स्थित इस्लाम चक में प्रारंभ हुआ। हजरत अली के जीवन पर प्रकाश डालने और उनकी शिक्षाओं पर अमल करने की बात कार्यक्रम में मुख्य रुप से आए वक्ताओं ने कही। कार्यक्रम का आगाज तिलावते कलाम-ए-पाक से हुआ। हजरत अली के जीवन पर रोशनी डालते हुए मौलाना शबीहुल हसन आजमी ने कहा कि हजरत अली का जीवन सादगी भरा श्रेष्ठ जीवन था। आप ज्ञान का भंडार थे। जिसके बारे में खुद रसूले खुदा ने फरमाया था कि “मैं इल्म का शहर हूं और अली उसका दरवाजा”।
इस मौके पर उपस्थित वक्ताओं ने हजरत अली की शान में कसीदे भी पढ़ें। संचालन डां. असलम खान ने किया। उन्होंने कहा कि हजरत अली को मौला-ए-कायनात कहा जाता है यानी पूरी कायनात का मौला अगर उनकी बताई हुई शिक्षाओं पर अमल किया जाए तो इंसान एक बेहतर जीवन जी सकता है। कार्यक्रम में इं. कैसर अब्बास, इं. कमर अब्बास, अली मिर्ज़ा, आगा एडवोकेट ने अपने अपने कलाम का नज़राना पेश किया।
इस अवसर पर तनवीर रिज़वी, एडवोकेट शबाहत हुसैन रिजवी, सुल्तान अहमद रिज़वी, अकील अब्बास रिज़वी, सोहेल अब्बास रिज़वी, एडवोकेट अहमर अब्बास रिज़वी, राशिद, शीबू रफत हुसैन, चुन्ने आदि लोग उपस्थित रहे ।