गोरखपुर। हज़रत अली के जन्मदिन के मौके पर शनिवार की शाम को मरहूम डॉ0 नफीस रिज़वी के दीवान बाजार आवास पर एक महफ़िल-ए-मिलाद का आयोजन किया गया। इस मौके पर तिलावत-ए-क़ुरान से मिलाद का आगाज़ मौलाना शबीहुल हसन आज़मी ने किया। उन्होंने हज़रत अली के जन्मदिवस पर सबको बधाई देते हुए उनकी जीवनशैली के बारे में उपस्थित लोगों को बताया और उनकी दी हुई शिक्षाओं को ग्रहण करने की सलाह दी। उन्होंने बताया कि हजरत अली इस्लाम धर्म के पैगंबर हज़रत मोहम्मद (स0अ0) के दामाद और कर्बला के अमर शहीद इमाम हुसैन के पिता थे। इस्लाम की शिक्षाओं के प्रचार प्रसार में हज़रत अली का बहुत बड़ा योगदान था। इस अवसर पर अन्य वक्ताओं ने भी हज़रत अली के जीवन और उनके विचारों को आज के युग की ज़रूरत बताते हुए कहा कि जब पैग़म्बर मुहम्मद (स.) ने इस्लाम का सन्देश दिया तो इस्लाम कुबूल करने वाले हज़रत अली पहले व्यक्ति थे।
हज़रत अली इब्ने अबी तालिब (अ.स.) पैगम्बर मुहम्मद (स.अ.) के चचाजाद भाई और दामाद थे। दुनिया उन्हें महान योद्धा और सुन्नी मुसलमानों के चौथे ख़लीफ़ा व शिया मुसलमानों के पहले इमाम के रूप में जानती है।
हज़रत अली ने इस्लामिक थियोलोजी (अध्यात्म) को तार्किक आधार दिया। कुरान को सबसे पहले कलमबद्ध करने वाले भी हज़रत अली ही हैं।
इस अवसर पर आयोजित महफ़िल- ए-मिलाद में उपस्थित स्थानीय शायरों ने हज़रत अली की शान में अपना कलाम पेश किया। क़मर अब्बास ने कहा कि “हक़ का इरफ़ान जो पाया तो अली याद आया” । ई0 कैंसर रिज़वी ने कहा कि “अली का ज़िक्र अंधेरों को दूर करता है”। आगा मोहम्मद मेंहदी एडवोकेट ने कहा कि “हो फ़साहत या बलाग़त या हो कोई मार्का, कौन ठहरा है अली ए मुर्तज़ा के सामने ।
जबकि अली मिर्ज़ा ने अपने कलाम “हम जलाये थे अक़ीदत से, रखा उसने भरम,
वो दिया रौशन है उल्फत का, हवा के सामने” के जरिये खूब वाह वाही बटोरी।
कार्यक्रम का संचालन हाजी नायाब हैदर ने किया। इस अवसर पर तनवीर अहमद, शबीह अहमद, शबाहत हुसैन रिज़वी एडवोकेट, सुल्तान अहमद रिज़वी, शिबू, राशिद, आरिफ के अलावा बड़ी संख्या में अक़ीदतमंदों की उपस्थित रही। यह जानकारी मुनव्वर रिजवी ने दी है।
हजरत अली जयंती पर विशेष कार्यक्रम
हजरत अली जयंती के अवसर पर इस्लाम चक जाफरा बाजार गोरखपुर में हर साल की तरह इस साल भी रविवार की शाम 8:00 बजे महफिल-ए-मिलाद का आयोजन किया गया है। यह जानकारी मुनव्वर रिज़वी ने दी है। उन्होंने बताया के मिलाद में स्थानीय शायरों के कलाम के साथ वक्ताओं द्वारा हज़रत अली के जीवन पर प्रकाश डाला गया।