टेरर फंडिंग केस – 5 साल पहले पंचर बनाने की दुकान चलाते थे नसीम और बॉबी

गोरखपुर। आतंकियों की मदद करने वालों में गोरखपुर जिले के दो सगे भाई नसीम और  अरशद उर्फ बॉबी द्वारा विभिन्न बैंकों में फर्जी नाम, पते से खोले गए खातों के जरिए आतंकियों और उनके संगठनों को रकम पहुंचाई जाती थी। पाकिस्तान में बैठे लश्कर-ए-तैय्यबा से जुड़े एक हैंडलर के कहने पर बैंक खातों में रकम जमा कराई जाती थी और निकाली जाती थी। कारोबारी भाइयों और फर्जी नाम, पते पर खोले गए खातों में दूसरे प्रदेशों से भी रकम जमा कराए जाने का पता चला है।

पाकिस्तान में रिस्तेदार के माध्यम से जुड़े इस नेटवर्क से

नसीम और अरशद के रिश्तेदार पाकिस्तान में रहते हैं। इन्हीं के माध्यम से दोनों भाई आतंकियों के सपर्क में आए और आतंकी संगठन के लिए काम करने लगे। बताते हैं कि पाकिस्तान में रहने वाले रिश्तेदारों के जरिए ही दोनों भाई टेरर फंडिंग करने वाले नेटवर्क से जुड़े। जिसके बाद इसके बाद कुछ दिन में ही वे अकूत संपत्ति के मालिक बन गए।

विदेशो में घूमने के शौकीन थे दोनों भाई

एटीएस आईजी असीम अरूण ने बताया, नसीम और अरशद के तार नेपाल, पाकिस्तान व खाड़ी देश से जुड़े हैं। दोनों भाई अक्सर इन देशों के दौरे करते थे। छानबीन में पता चला है कि टेरर फंडिंग के लिए रकम बंगलादेश से नेपाल भेजी जाती थी। वहां से इस रकम को पाकिस्तान भेजा जाता था, पाकिस्तान से अरब देश भेजे जाते थे और इन्हीं देशों से रुपये कारोबारी भाइयों के खाते में भी भेजे जाते थे। पाकिस्तान में बैठे हैंडलर के कहने पर पैसे फर्जी खातों में ट्रांसफर किए जाते थे।

फ़र्ज़ी नाम पते पर खोले गए खातों में भेजते थे रकम

 लश्कर-ए-तैय्यबा से जुड़े हैंडलर के कहने पर कारोबारी भाई अपने खाते से रकम फर्जी नाम व पते पर खोले गए खातों में भेजते थे। उन खातों से रकम निकालकर देश विरोधी तत्वों तक पहुंचाई जाती थी।हैंडलर के पास सभी खातों की डिटेल मौजूद रहती थी। वही बताता था कि किस खाते में कितनी रकम भेजनी है। रकम कौन निकालता था और कहां पहुंचाता था, एटीएस इसका पता लगाने में जुटी है।

पेट्रोल पंप पर स्वैप कार्ड का करते थे इस्तेमाल

 गोरखपुर के खोराबार क्षेत्र का रहने वाला दयानंद यादव इसी इलाके में तारामंडल स्थित पेट्रोल पंप पर काम करता था। वह भी इस नेटवर्क से जुड़ा था। किसी को शक ना हो इसलिए पैसे बैंक की जगह स्वैप करके निकाले जाते थे। उन्हें डर रहता था कि बैंकों में लगे सीसीटीवी कैमरे में उनकी तस्वीर आ सकती है। जिसकी वजह से वे कभी भी पकड़े जा सकते हैं। इसलिए आमतौर से पेट्रोल पंपों पर कार्ड स्वैप कर रुपये निकाले जाते थे। पेट्रोल पंप पर काम करने वाला दयानंद यह काम आसानी से कर देता था। उसके बाद निकाले गए पैसे केरल और पूर्वोत्तर के कई राज्यों के बैंकों में खुले फर्जी खातों में  भेजे जाते थे।
विभिन्न पेट्रोल पंपों पर काम करने वाले कर्मचारियों को कमीशन देकर आसानी से वह बड़ी रकम निकालने में सफल हो जाता था।
वहीं, इस नेटवर्क से जुड़ा मुकेश फर्जी नाम व पते पर खाते खुलवाता था। खाता नंबर की जानकारी नेटवर्क से जुड़े लोगों को देता था। बाद में उन्हीं खातों में आतंक फैलाने के लिए रकम आती थी।

5 सालों में अकूत सम्पत्ति का मालिक बन गए दोनों भाई

गोरखपुर के कैंट थानाक्षेत्र के बलदेव प्‍लाजा, कोतवाली थानाक्षेत्र रेतीरोड के आनंद कटरा और सुपर इलेक्ट्रॉनिक मार्केट  में नईम एण्‍ड सन्‍स इलेक्‍ट्रॉनिक्‍स के शो रूम पर जब दो दिन पहले यूपी एटीएस की टीम ने छापेमारी की तो हड़कंप मच गया। टेरर फंडिंग और आतंकियों से सीधे संबंध होने के मामले में पुलिस ने नईम के दोनों बेटों नसीम और अरशद को अरेस्ट किया।
नईम रेती रोड के आनंद कटरा में पंचर की दुकान चलाते थे। उसके बाद रेडियो और डेक का काम शुरू कर दिया। फिर बेटे नसीम और अरशद भी कारोबार में हाथ बंटाने लगे। नईम के चार बेटों में सबसे बड़ा नसीम और सबसे छोटा अरशद बलदेव प्‍लाजा और रेती रोड के सुपर इलेक्ट्रॉनिक मार्केट में मोबाइल का कारोबार करने लगे। – कुछ ही समय में दोनों ने बलदेव प्‍लाजा और रेतीरोड के आनंद कटरा और सुपर इलेक्ट्रॉनिक मार्केट की दुकानों को खरीद कर शोरूम का रूप दे दिया। 5 से 6 सालों में दोनों ने इतनी संपत्ति इकट्ठा कर ली कि अगल-बगल के दुकानदार भी उन्‍हें शक की नजर से देखने लगे थे।

निर्दोष है मेरे पति और देवर, सुप्रीम कोर्ट तक जाऊंगी

गांधी गली के फ्लैट में रहने वाली नसीम की पत्‍नी नाजीन पति और देवर को निर्दोष बताते हुए हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट जाने की बात कर रही हैं। दोनों भाई बैंकाक, दुबई, चाइना, मलेशिया और सिंगापुर जैसे अन्‍य देशों में घूमने के शौकीन थे।