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गोरखपुर। भोर में खोराबार पुलिस ने मुठभेड में जहरखुरानी करने वाले गैंग के पांच सदस्यों को गिरफ्तार किया। इनके तीन साथी चकमा देकर भाग निकले। आरोपितों की निशानदेही पर काफी मात्रा में यात्रियों से लूटा गया सामान बरामद हुआ। एक साल से यह गिरोह रेलवे स्टेशन के आसपास सक्रिय था।
एसपी सिटी विनय सिंह ने बताया कि एसएसआई खोराबार अनिल उपाध्याय को मंगलवार की भोर में जहरखुरानों के विनोद वन के पास जुटने की सूचना मिली। फोर्स के साथ पहुंचे एसएसआई ने आरोपितों को घेर लिया। जहरखुरानों ने फयरिंग कर भागने का प्रयास किया लेकिन पुलिसकर्मियों ने घेरकर पांच लोगों को दबोच लिया। पूछताछ में इनकी पहचान खोराबार के रामपुर, मोतीराम अड्डा निवासी अशोक जायसवाल, चौरीचौरा के मुंडेरा बाजार निवासी दीपू जायसवाल, इंजीनियरिंग कालेज निवासी स्वामीनाथ, दिव्यनगर निवासी गणेश कन्नौजिया, कुशीनगर के रामकोला निवासी मनीष जायसवाल के रूप में हुई।
हालांकि इनके तीन साथी चकमा देकर फरार हो गए। तलाशी लेने पर आरोपितों के पास 10 मोबाइल फोन, एक हजार से अधिक नशे की गोली मिली। पूछताछ में पता चला कि आरोपित रात में रेलवे स्टेशन व बस स्टेशन के पास आटो लेकर पहुंचते है। बाहर से आने वाले यात्रियों को झांसा देकर आटो में बैठाकर नशीला चाय, पानी व कोल्ड ड्रिंक्स में नशीला पदार्थ मिलाकर पिला देते हैं। अचेत होने पर सामान लूटने के बाद यात्रियों को सड़क किनारे छोड़ देते हैं। इनकी निशानदेही पर यात्रियों से लूटा गया छह ट्राली बैग, घरेलू इस्तेमाल के पुराने कपड़े, तेल व साबुन, प्लास्टिक के ड्रम, जूता और चप्पल बरामद किया गया। एसपी सिटी ने बताया कि 16 जून को खोराबार क्षेत्र में यात्री से हुई जहरखुरानी की घटना को बदमाशों ने अंजाम दिया था।
एसपी सिटी विनय सिंह ने बताया कि रामपुर के अहिरवाती टोला में रहने वाला अशोक जायसवाल दिखावे के लिए दिन में किराना की दुकान चलाता है। रात में साले सांभा व उसके दोस्तों के साथ मिलकर जहरखुरानी करता है। कुछ दिन पहले वाहन चोरी के मामले में संतकबीरनगर पुलिस ने अशोक को गिरफ्तार कर जेल भेजा था। छह महीना पहले वह जमानत पर छूटा था।
गिरोह एक आटो से जहरखुरानी की वारदात अंजाम देता था। आटो को दीपू चलाता था अन्य पीछे बैठ जाते थे गिरोह एक दिन में सिर्फ एक टार्गेट को शिकार बनाता था। अकेले जा रहे व्यक्ति के पास पहुंच कर वह छोड़ने के लिए बोलते और ऐसा दर्शाता की आटो में एक ही सवारी के बैठने की जगह है अन्य सवारी बैठे हुए हैं जबकि अन्य गिरोह के सदस्य होते थे। रास्ते में इनसे लूट कर लेते थे।