पुलिस ने काले तेल के, काले खेल का किया पर्दाफाश

काले तेल के कारोंबारीयों का बडा केन्द्र रहा है छाता

मथुरा चौमुहां। कोतवाली छाता के गांव अकबरपुर में हाईवे किनारें इलाका पुलिस के संरक्षण में काले तेल का कारोबार बेख़ौफ़ चल रहा था। जबकि वृन्दावन कोतवाली व छाता कोतवाली क्षेत्र दोनो की पुलिस पिकेटों की डयूटी छाता कोतवानी व वृन्दवन कोतवाली के बॉर्डर पर रहती है। इस के बाबजूद भी कई माह से चल रहे इस काले तेल के खेल को किसी ने नही पकडा।

लोगों का कहना है कि काले तेल के इस खेल की जानकारी पुलिसकर्मीयों के साथ साथ क्षेत्र के अधिकारीयों को भी थी। इसी लिये काले तेल के इस कारोबार को पिछले 6 माह से काले तेल के कारोबारी बेख़ौफ़ चला रहे थे। रविवार की सुबह 11 बजे पीआरवी 100 की गाडी 1880 अपने पोइंट पर डयूटी पर आई तो पीआरवी पर तैनात एसआई इन्दल सिह, कांस्टेबल अजीत लोर,होमगार्ड नरेन्द्र सिंह ने एक टेकर को संदिग्ध रूप में हाइवे से नीचे उतरते हुए देखा। पीआरवी की टीम ने कुछ देर बाद टेंकर के पास जाकर देखा तो पाया कि दो लोग टेंकर में भरें काले तेल को ड्रमों में खाली कर रहे थें। पुलिसकर्मीयों को देखकर उनके हाथ पेर फूल गयें। पुलिस ने जब कडाई से पूछताछ की तो उन्होने अपना नाम हरीश व ओमप्रकाश बताया। उन्होने बताया कि वे काले तेल के इस टेंकर को भटिन्टा से बदायूं ले जा रहे थे। उन्होने पुलिस को बताया कि यहां वे मदन चौधरी छाता व विवके सेठ पंजाबी मथुरा के लिये काले तेल को टेंकर में से निकाल कर ड्रमों में खाली कर रहे थे। यहां से ड्रमों मे भरकर डीसीएम से तेल को छाता ले जाते थें। अकबरपुर में यह काम पिछले 6 महीने से चल रहा है। प्रत्यक्षदर्षीयों का कहना है कि काले तेल का कारोबार यहां दिन रात चलता था। दिन में भी यहां टेंकर काला तेल खलाते थें।

पीआरवी 1880 की गाडी ने दो लोंगों को तेल खलाते हुए पकड लिया। मोके पर कोतवाली प्रभारी प्रमोद पवार अकरबरपुर हलका प्रभारी राजवीर सिंह व कांस्टेबल सोनवीर के साथ मौके पर पहुच गयें। पुलिस दोनों लोंगो को पकड कर अपने साथ कोतवाली ले आयी। जिसमें से ओमप्रकाष के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर पुलिस ने अपनी कार्यवाही की इतिश्री कर ली। पुलिस की इस कार्यवाही से साफ दिख रहा था कि पुलिस काले तेल के आकाओं पर कोई कार्यवाही नही करना चाहती। दूसरा सबसे बडा सवाल यह है कि जब दो लोग तेल खलाते हुए पकडे गये थें तो पुलिस ने उस एक व्यक्ती को क्यों छोड दिया। जो इस बात को साबित करता हें कि इस काले तेल के कारोबारीयों के सम्पर्क पुलिस के आला अधिकारीयों के साथ साथ राजनेताओं से भी है।

काले तेल के खेल का सबसे बडा मैदान रहा हैं कोतवाली क्षेत्र छाता। आज से 6 वर्ष पूर्व काले तेल का काम बसपा पार्टी के राजनेताओं के इषारे पर बडे पैमाने पर होता थां। तत्कालीन पुलिस कप्तान भानू भाष्कर ने छापा मार कार्यवाही कर कई लोगां को गिरफतार कर काले तेल के इस खेल को पूरी तरह से नेष्तनाबूद कर दिया। उसके बाद यह खेल चोरी छुपे चला तो सही लेकिन खुले तोर पर नहीं हुआ। रही सही कसर उस समय पूरी हो गई जब सपा सरकार में भानू भाष्कर डीआईजी आगरा बन गये ।तब से अब तक काले तेल का कारोबार चोरी छुपे ही चल रहा है ।