वादा और धोखा, CM योगी ने ग्रामीणों की समस्याओं को तत्काल प्रभाव से निदान का दिया था आश्वासन, लेकिन हालत बद से बदतर

फाइल फोटो

पिछले वर्ष गांव में बाढ़ का जायजा लेने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बोट से पहुंचे थे, ग्रामीणों की समस्याओं से रूबरू होकर योगी जी ने तत्काल प्रभाव से नदी पर ठोकर सहित अन्य समस्याओं के निदान का आश्वासन दिया था लेकिन एक साल बीत जाने के बाद भी ग्रामीणों की समस्याएं जस की तस है।

सिद्धार्थनगर। सूबे के मुख्यमंत्री अगर किसी गांव का दौरा करें, वहां की समस्याओं से रुबरु हो, समस्याओं के निदान का तत्काल फरमान जारी करें और 1 साल बीत जाने के बाद उस गांव की हालत पहले से और बदतर हो जाए तो आप क्या कहेंगे। जाहिर है पूरी तरह से मायूस हो जाएंगे।

सिद्धार्थनगर जिले के विधानसभा शोहरतगढ़ का यह है शीतल खैरा गांव यह गांव बूढ़ी राप्ती नदी के पास बसा है। हर वर्ष बाढ की विभिषिका झेलना इस गांव की नियति बन गई है। बूढ़ी राप्ती नदी कुछ वर्ष पहले गांव से 1 किलोमीटर दूर बह रही थी लेकिन कटान इस कदर है अब नदी गांव को लीलने को बेताब है। कटान गांव के 50 मीटर पहले तक पहुंच चुकी है। गांव में दहशत है कि अगर बाढ आ गयी तो क्या होग। पिछले वर्ष इस गांव में भीषण तबाही हुई थी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यूपी की कमान उसी समय सभाली थी और बाढ़ का जायजा लेने वह जिले में भी आए थे। मेरूनड हो चुके इस गांव में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बोट से पहुंचे थे। ग्रामीणों की समस्याओं से रूबरू होकर योगी जी ने तत्काल प्रभाव से नदी पर ठोकर सहित अन्य समस्याओं के निदान का आश्वासन भी दिया था लेकिन एक साल बीत जाने के बाद ग्रामीणों की समस्याएं जस की तस है। गांव कटान पर तो है ही, यहां के लोगों को मूलभूत सुविधाएं भी मयस्सर नहीं है। 25 प्रतिशत आबादी आज भी छप्पर के मकान में रह रही है। सड़कें बदतर हैं, पीने के पानी की व्यवस्था नहीं है, ग्रामीण खुले में शौच जाने को मजबूर हैं।

शोहरतगढ़ विधानसभा के अपना दल विधायक चैधरी अमर सिंह का यह क्षेत्र है। पिछले वर्ष मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ विधायक और स्थानीय सांसद जगदंबिका पाल भी इस गांव पर बोट से आए थे। लेकिन मुख्यमंत्री योगी के आश्वासन के बाद भी काम ना होने से जनता उनसे सवाल करती है। जब उनसे बात की गई तो उनका दर्द छलक पड़ा। उन्होंने अपनी ही सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया विधायक अमर सिंह ने साफ कहा कि बाढ़ की समस्या को लेकर वह मुख्यमंत्री से 5 बार प्रपोजल देकर मिल चुके हैं लेकिन उनकी बात को गंभीरता से नहीं लिया गया। उनका कहना है कि जनता के बीच में तो उन्हें रहना होता है ऐसे में लोगों की अपेक्षाएं पूरी ना होने से उन्हें शर्मिंदा होना पड़ता है। वही सांसद जगदंबिका पाल भी इस सवाल पर गोलमोल जवाब देते हुए अपनी जवाबदेही से बचते नजर आए।

लोगों की समस्याओं का जब समाधान नहीं होता तो वह सूबे के मुखिया की शरण में जाता है। शीतल खैरा गांव के लोग अब अपनी फरियाद लेकर किसके पास जाएं जब मुख्यमंत्री के उनके गांव के विकास के वादे ने ही दम तोड़ दिया यह एक बड़ा सवाल है।