इस्लामिया विद्यालय का नाम हटाने पर विरोध कहा, सरकार नमाज़ पढ़ने से रोकना चाहती है

जुमे की नमाज़ के लिए शुक्रवार को स्कूल की छुट्टी और रविवार को स्कूल खुला रखने की परंपरा आज भी कायम है।

रिपोर्टर @ राणा प्रताप सिंह

बलिया। उत्तर प्रदेश के बाकी हिस्सो की तरह बलिया में भी आजादी के पहले से ही मुस्लिम धर्म के नाम पर दर्जनो इस्लामिया प्राथमिक विद्यालय है। नियमो को ताख पर रखकर चल रहे है। जुमे की नमाज़ के लिए शुक्रवार को स्कूल की छुट्टी और रविवार को स्कूल खुला रखने की परंपरा आज भी कायम है। हमारी पड़ताल में एक इस्लामिया स्कूल के प्रिंसिपल ने किया खुलासा। कहा छुट्टी की परंपरा बदली तो ग्रामीणों ने जमकर किया विरोध। स्थानीय मुस्लिम बुजुर्गो ने कहा इस्लामिया नाम हटा तो करेंगे विरोध सरकार मुसलमानों को हिन्दू बनाना चाहती है।

इस स्कूल पर भी साफ साफ लिखा है इस्लामिया प्राथमिक विद्यालय उभाव । जो अपनी पुरानी परंपरा और आज भी कायम है। इस स्कूल की प्रधानाध्यापिका की माने तो जब से स्कूल बना है तभी से शुक्रवार को छुट्टी रहती है और रविवार को बंद रहता है।

आजादी के पहले से बना इस स्कूल को गौर से देखिए यह स्कूल इस्लामिया प्राथमिक विद्यालय सेमरी है जो बेरुआरबारी स्तिथ सेमरी गांव में है। इस स्कूल के प्रिंसिपल की माने तो इनकी नियुक्ति के पहले से ही इस स्कूल में बाकी विषयो की तरह उर्दू की भी पढ़ाई होती थी। और मुस्लिम बाहुल्य इलाके की वजह से जुमे के दिन नमाज़ के लिए स्कूल की छुट्टी रहती थी और रविवार को पढ़ाई होती थी। मगर दो साल पहले इस स्कूल में जुमे के दिन छुट्टी की परंपरा ख़त्म की गई तो इसका स्थानीय मुस्लिम लोगों ने जमकर विरोध किया। और आज एक बार फिर सरकार का इस्लामिया शब्द हटाने के आदेश के बाद वह विरोध से डरे हुए है।

इस्लामिया प्राथमिक विद्यालय सेमरी गांव के मुस्लिम बुजुर्ग की माने तो यह स्कूल आजादी के पहले से ही इस्लामिया नाम से संचालित है और वह इस स्कूल के छात्र भी रह चुके है और सरकार के इस्लामिया शब्द हटाने के फैसले से काफी नाराज है। उनकी माने तो इस्लामिया शब्द स्कूल के नाम से हटाने से खासा दुखी है और इसका जोरदार विरोध करने की बात कह रहे है। यह भी कहा की सरकार मुसलमानों को हिन्दू बनाना चाहती है। और सरकार नमाज़ पढ़ने से रोकना चाहती है।

सबसे बड़ा सवाल है की सरकारी अभिलेखों में जब इस्लामिया शब्द लिखा हुआ है तो सरकार अभी तक सोई क्यो रही। क्यो नही इसका संज्ञान लिया गया और क्या जिले के अधिकारियों को नही पता था कि कब स्कूल खुलते है और कब बंद होतें हैं।