इन मस्जिदों में मुकम्मल हुआ एक कुरआन-ए-पाक

तीसरा अशरा जहन्नम से आजादी का शुरु हो चुका है। लिहाजा खूब इबादत करें और गुनाहों की माफी मांगे। इसमें एक रात ऐसी है जिसमें इबादत करने का सवाब हजार रातों की इबादत के बराबर है।

गोरखपुर। माह-ए-रमजान में शुरु हुई तरावीह नमाज में एक कुरआन-ए-पाक मुकम्मल होने का सिलसिला जारी है। बुधवार को शहर की ज्यादातर मस्जिदों में एक कुरआन मुकम्मल हो गया। गाजी मस्जिद गाजी रौजा में हाफिज अयाज अहमद, मस्जिद खादिम हुसैन तिवारीपुर में कारी अफजल बरकाती, गौसिया मस्जिद छोटे काजीपुर में कारी शम्सुद्दीन, अहमदी सुन्नी जामा मस्जिद सौदागार मोहल्ला बसंतपुर में कारी मो. मोहसिन बरकाती, चिश्तिया मस्जिद बक्शीपुर में हाफिज अहमद रजा व हाफिज सुहेल, अकबरी जामा मस्जिद अहमदनगर में कारी सद्दाम, मकबरे वाली मस्जिद बनकटीचक में हाफिज अब्दुल कलाम, जामा मस्जिद रहमतनगर में हाफिज कुरबान अली, मक्का मस्जिद मेवातीपुर में कारी अंसारुल हक कादरी, गौसिया मस्जिद घोसीपुरवा में हाफिज सेराज ने तरावीह नमाज के दौरान एक कुरआन-ए-पाक मुकम्मल किया। कुरआन मुकम्मल होने की खुशी में प्रोग्राम हुआ। जिसमें हाफिज-ए-कुरआन को तोहफों से नवाजा गया।

इसमें एक रात ऐसी है जिसमें इबादत करने का सवाब हजार रातों की इबादत के बराबर है। जिसे शब-ए-क़द्र के नाम से जाना जाता  है।

इस दौरान उलेमा ने कहा कि तीसरा अशरा जहन्नम से आजादी का शुरु हो चुका है। लिहाजा खूब इबादत करें और गुनाहों की माफी मांगे। इसमें एक रात ऐसी है जिसमें इबादत करने का सवाब हजार रातों की इबादत के बराबर है। जिसे शब-ए-क़द्र के नाम से जाना जाता  है। रमजान में कुरआन नाजिल हुआ। कुरआन कलामे इलाही है। इसका एक भी अक्षर न बदला है, न बदलेगा। कुरआन का पढ़ना, सुनना, देखना व छूना सभी कुछ इबादत है। दुनिया में कुरआन सिर्फ एक किताब नहीं बल्कि इंसानी जिंदगी का रहनुमा है।

खत्म कुरआन-ए-पाक मस्जिद खादिम हुसैन तिवारीपुर 

सदका-ए-फित्र (एक व्यक्ति को 40 रुपया अदा करना है) व जकात जल्द अदा करें ताकि जरुरतमंद अपनी जरुरतें पूरी कर लें।

उलेमा ने अपील करते हुए कहा कि सदका-ए-फित्र (एक व्यक्ति को 40 रुपया अदा करना है) व जकात जल्द अदा करें ताकि जरुरतमंद अपनी जरुरतें पूरी कर लें। जकात इस्लाम का अहम रुकन है। यह गरीबों, मिस्कीनों, यतीमों का हक है लिहाजा जल्द उन तक रकम पहुंच जायेगी तो उनकी जरूरतें पूरी हो जाएगी। उलेमा ने कहा कि तरावीह की नमाज पूरे रमजान तक पढ़नी हैं।

अंत में सलातो-सलाम पढ़कर नमाजियों ने मुल्क में अमन, तरक्की व खुशहाली के लिए दुआएं कीं। इस दौरान हाफिज रेयाज अहमद, मो. फराज, मौलाना अली अहमद, कारी आबिद अली, मौलाना मोहम्मद अहमद, हाफिज महमूद रजा, अली गजनफर शाह, मो. ताबिश सिद्दीकी, शहबाज, शिराज, मो. आजम, मेहताब अनवर, हाजी उबैद अहमद, मौलाना गुलाम दस्तगीर, मो. जकी सिद्दीकी, जमाल अहमद,  हाजी शब्बीर अहमद, मोइनुद्दीन उर्फ सज्जू, नासिफ, मोहम्मद दबीर, शादाब, तौसीफ अहमद, इस्तियाक अहमद, डा. मुर्तजा हुसैन, हाजी खुर्शीद आलम, अब्दुल माबूद, मो. अरशद, मुश्ताक अहमद सहित तमाम लोग मौजूद रहे।