राज भवन समानांतर शक्ति के केंद्र नहीं हैं – उपराष्ट्रपति

राज्यपालों को विकास प्रक्रिया में मार्गदर्शक की भूमिका का निर्वहन करने की सलाह

नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति श्री एम वेंकैया नायडू ने कहा है कि राजभवन समानांतर सत्ता के केंद्र नहीं हैं। उन्होंने राज्यपालों को विकास प्रक्रिया में मार्गदर्शक की भूमिका का निर्वहन करने की सलाह दी । वे आज राष्ट्रपति भवन में राज्यपालों के 49वें सम्मेलन के समापन सत्र को संबोधित कर रहे थे। श्री नायडू ने कहा कि भारत ने पिछले सात दशकों में विभिन्न क्षेत्रों में तेजी से प्रगति की है। लेकिन पिछले चार वर्षों में देश ने विकास के स्तर पर शानदार प्रदर्शन किया।

आप बुद्धिमान मार्गदर्शक, एक सलाहकार, एक दोस्त, दार्शनिक और प्रेरक हैं

उपराष्ट्रपति ने राज्यपालों को विकास के वाहक बनने और सादगी का उदाहरण पेश करने तथा हथकरघा और स्थानीय रूप से बने सामानों को बढ़ावा देने की सलाह दी। उन्होंने राज्यपालों से कहा “आप बुद्धिमान मार्गदर्शक, एक सलाहकार, एक दोस्त, दार्शनिक और प्रेरक हैं”।

नवीन विकास की धार को एक नई गति और दिशा देना है

उपराष्ट्रपति ने कहा कि नवीन विकास की धार को एक नई गति और दिशा देना है। उन्होंने कहा कि मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति से कई कार्यक्रमों को स्पष्ट रूप से लागू किया जा रहा है। सकारात्मक परिणामों के लिए हमारे विशाल, सक्षम कर्मचारियों के प्रशासनिक कौशल का उपयोग किया जा रहा है।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि विकास अब अधिक से अधिक जन केंद्रित और जनता की भागीदारी हो रहा है। उपराष्ट्रपति ने कहा विकास एक सामाजिक मिशन बन गया है।