पढ़िए स्व. वीर बहादुर सिंह की पुण्यतिथि पर विशेष…

घरों में नाम थे, नामोंं के साथ ओहते थे।
बहुत तलाश किया कोई आदमी ना मिला॥

गोरखपुर। 1935 को गोरखपुर के हरनही गांव में जन्‍में वीर बहादुर सिंह जी बालपन में ही 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन से जुड़े थे। उन्‍होंने छात्र जीवन से ही राजनीति में रुचि लेना शुरू कर दिया था। युवा नेता ओम प्रकाश पाण्‍डेय के साथ राजनीति में उतरे बीर बहादुर सिंह जी पाण्‍डेय की अचानक हुई मौत से काफी दुःखी हुये, बाद में पूर्वाचल की राजनीति में उभर कर सामने आये। देश की मिट्टी के साथ जुड़ी राजनीति करने वाले वीर बहादुर सिंह की 30 मई 1990 में पेरिस में हार्ट अटैक से उनकी मृत्‍यु हो गई। आमजन उन्‍हें पूर्वाचल का विकास पुरुष मानते हैं।

वीर बहादुर सिंह जी सर्वप्रथम 1967 में उत्तर प्रदेश विधान सभा के पनियरा निर्वाचन क्षेत्र से तत्कालीन जिला गोरखपुर से विधायक निर्वाचित हुए थे। दोबारा 1969, 1974,1980 और 1985 तक पाँच बार उत्तर प्रदेश विधान सभा के सदस्य निर्वाचित हुए। वे 88-89 तक राज्य सभा के सदस्य भी रहे। साल 1970, 1971-73 और 1973-74 तक उपमन्त्री रहे। वीर बहादुर 1976-77 तक राज्य मंत्री भी रहे। साल 1980-85 तक मंत्री रहे। 24 सितम्बर, 1985 से 24 जून,1988 तक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे। 1988 से 30 मई, 1989 तक केन्द्रीय संचार मंत्री भी रहे। इसके अलावा वे जिला युवक कांग्रेस गोरखपुर के संयोजक भी रहे थे। वे उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी और अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्‍य रहने के साथ उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महामन्त्री़ भी रहे थे। वीर बहादुर सेन्ट्रल पार्लियामेन्टरी बोर्ड के स्थायी निमंत्रित सदस्य थे।

वीर बहादुर सिंह चाहते थे कि प्रदेश के युवकों को यहीं ज्‍यादा से ज्‍यादा रोजगार के अवसर उपलब्‍ध कराये जा सकें। इसी क्रम में उन्‍होंने रामगढ़ ताल परियोजना, बौद्ध परिपथ, सर्किट हाउस, सड़कों का चौड़ीकरण, विकास नगर, राप्तीनगर में आवासीय भवनों का निर्माण, पर्यटन विकास केंद्र की स्थापना, तारामंडल का निर्माण और विभिन्न पार्को का सुंदरीकरण कराने का काम किया। वे प्रदेश के एतिहासिक इलाकों को विश्‍व के सर्वश्रेष्‍ठ पर्यटन स्‍थलों में तब्‍दील करना चाहते थे। वीर बहादुर सिंह उत्‍तर प्रदेश को देश का औद्योगिक केंद्र भी बनाने की ख्‍वाहिश रखते थे।

पूर्वांचल और गोरखपुर के विकास के शिल्पी पूर्व मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह जी को भावपूर्ण श्रध्दांजलि के साथ शत् -शत् नमन्………. वे हमारे दिलों में सदैव अमर रहेंगे।