साल के 365 दिन इमाम पाबंदी के साथ पांचों वक्त व जुमा की नमाज तय समय पर पढ़ाते है और अन्य जिम्मेदारियां भी बाखूबी निभाते है।
गोरखपुर। माह-ए-रमजान का महीना चल रहा है, मस्जिदों के इमामों की जिम्मेदारियां बढ़ गयी हैं। पांच वक्त की नमाज, वित्र की नमाज, तरावीह की नमाज, जुमा की नमाज, सहरी में जगाना, इफ्तार के वक्त बताना, मस्जिद की तमामतर जिम्मेदारियां मस्जिद के इमामों की हैं। इस वक्त मस्जिदों में नमाजियों की तादाद भी बढ़ गयी है तो वुजू के पानी से लेकर पंखा कूलर, साफ-सफाई की निगरानी, शाम को विभिन्न घरों से आयी इफ्तारी को इक्ट्ठा करवाना और बंटवाना भी इमाम साहब के ही जिम्मे है। साल के 365 दिन इमाम पाबंदी के साथ पांचों वक्त व जुमा की नमाज तय समय पर पढ़ाते है और अन्य जिम्मेदारियां बाखूबी निभाते है। हम आपको शहर की कुछ ऐसी मस्जिदों के इमामों से मिला रहे है जो बीस साल से अधिक समय तक एक ही मस्जिद की खिदमत अंजाम दे रहे है। जिनकी सेवाएं अब भी अनवरत जारी है।

साहबगंज (खूनीपुर) स्थित अंग्रेजों के जमाने की बनी मस्जिद शेख झांऊ के इमाम है मौलाना फैजुल्लाह कादरी। जो लगातार 40 साल से इस मस्जिद की खिदमत अंजाम दे रहे है। पहले इस मस्जिद में मदरसा अरबिया कुरआनिया शेख झांऊ भी चला करता था। उसमें भी वह अपनी जिम्मेदारी निभाते थे। जो कई सालों से बंद है। मौलाना फैजुल्लाह कादरी ईदगाह दरगाह हजरत मुबारक खां शहीद नार्मल में करीब 28 साल से ईद व ईद-उल-अजहा की भी नमाज पढ़ाते है। अच्छे इस्लामिक वक्ता व बहुत बुजुर्ग आलिम है। वहीं इसी मस्जिद में तरावीह नमाज के इमाम है कारी नसीमुल्लाह जो 1978 से लगातार 40 सालों से तरावीह की नमाज पढ़ा रहे है। यह मदरसा अंजुमन इस्लामिया खूनीपुर में 1985 से बतौर शिक्षक कार्यरत है। यह इसी मस्जिद में शबीना भी पढ़ाते है तीन अन्य लोगों के साथ मिलकर।
हाफिज गुलाम रसूलइसी तरह खूनीपुर छोटा जब्ह खाना के पास स्थित मस्जिद जलील शाह के इमाम है हाफिज गुलाम रसूल। जो लगातार 21 साल से इमामत की जिम्मेदारी के साथ बच्चों को दीन की तालीम देते है।

वहीं अब्दुल हमीद खान चिश्तिया मस्जिद मियां बाजार दक्षिणी में इमाम है मौलाना तशरीफ अहमद। जो यहां करीब 25 सालों से इमामत कर रहे है। यह इमामत के अलावा बच्चों को मजहबी शिक्षा देते है।
इसी तरह नूरी जामा मस्जिद अहमदनगर चक्शा हुसैन के इमाम है हाफिज मो. जमालुद्दीन निजामी। जो करीब 22 साल से इस मस्जिद में नमाज पढ़ाने के साथ अन्य जिम्मेदारियां बाखूबी अंजाम दे रहे हैं। बच्चों को मजहबी शिक्षा भी देते है।

मस्जिद हरमैन रायगंज में 1988 से इमामत कर रहे हैं कारी मो. अय्यूब। यह भी मस्जिद की जिम्मेदारियों के साथ बच्चों को मजहबी शिक्षा देते है।

मियां बाजार इमामबाड़ा पूरब फाटक मस्जिद के इमाम मौलाना मो. कासिम है। जो करीब 27 साल से लगातार मस्जिद की खिदमत अंजाम दे रहे है।

वहीं जामा मस्जिद उर्दू बाजार के इमाम मौलाना अब्दुल जलील मजहरी करीब 29 साल से मस्जिद में इमामत कर रहे है। दारोगा मस्जिद अफगानहाता के इमाम कारी हिदायतुल्लाह करीब 20 सालों से अधिक समय से इमामत कर रहे है।

औलिया जामा मस्जिद घोसीपुरवा में कारी रईसुल कादरी जुमा व ईद की नमाज करीब 50 साल से पढ़ा रहे है। मदीना मस्जिद रेती के इमाम मौलाना अब्दुल्लाह बरकाती भी करीब 19 सालों से अपनी सेवाएं देते चले आ रहे है। पहले मदरसे में भी पढ़ाते थे। मदरसा बंद होने के बाद अब बच्चों को दीनी तालीम देते है।