गोरखपुर। इस्लामी कैलेंडर के माह शाबान की पन्द्रहवीं तारीख की रात को शब-ए-बरात के नाम से जाना जाता है। इस बार यह रात मंगलवार 1 मई को पड़ रही हैं। शब-ए-बरात के मौके पर महानगर की तमाम मस्जिदों, दरगाहों, कब्रिस्तानों की साफ-सफाई शुरु हो चुकी है। मुफ्ती अख्तर हुसैन (मुफ्ती-ए-गोरखपुर) ने बताया कि शब-ए-बरात का अर्थ होता है छुटकारे की रात या निजात की रात। इस्लाम धर्म में इस रात को महत्वपूर्ण माना जाता है। हदीस शरीफ में है कि इस रात में साल भर के होने वाले तमाम काम बांटे जाते है जैसे कौन पैदा होगा, कौन मरेगा, किसे कितनी रोजी मिलेगी आदि। सारी चीजें इसी रात को तकसीम की जाती है। इस दिन शहर की छोटी से लेकर बड़ी मस्जिदों, घरों में लोग इबादत करते है। रब से दुआं मांगते हैं। कब्रिस्तानों में जाकर पूर्वजों की कब्रों पर फातिहा पढ़कर उनकी बख्शिश की दुआ करते हैं। वलियों की दरगाहों पर जियारत के लिए जाते हैं। गरीबों को खाना खिलाया जाता है। इस दिन घरों में तमाम तरह का हलुवा (सूजी, चने की दाल, गरी आदि) व लजीज व्यंजन पकाया जाता है। देर रात तक लोग नफिल नमाज व तिलावत-ए-कुरआन पाक कर अपना मुकद्दर संवारने की दुआ मांगते है। अगले दिन रोजा रखकर इबादत करते हैं। इस रात के ठीक पन्द्रह या चौदह दिन बाद मुकद्दस रमजान माह आता है। उन्होंने नौजवानों से आतिशबाजी, बाइक स्टंट और खुराफाती बातों से बचने का आह्वान किया हैं। उन्होंने गुजारिश की है कि जिनकी फर्ज नमाजें कज़ा (छूटी) हो उनको नफिल नमाजों की जगह फर्ज कजा नमाजें पढ़ें।
यह करना चाहिए
तंजीम कारवाने अहले सुन्नत के सदर मुफ्ती मोहम्मद अजहर शम्सी ने कहा कि इस मुबारक रात में गुस्ल करना, अच्छे कपड़े पहनना वास्ते इबादत के, सुरमा लगाना, मिस्वाक करना, इत्र लगाना, कब्रों व वलियों के मजारों की जियारत करना, फातिहा दिलाना, खैरात करना, मुर्दों के मगफिरत की दुआ करना, बीमार का हालचाल जानना, तहज्जुद की नमाज पढ़ना, फर्ज कजा नमाजें व नफिल नमाजें ज्यादा पढ़ना, दरूद व सलाम की कसरत करना, सूरः यासीन शरीफ की तिलावत करना, नेक काम ज्यादा करना, इबादत में सुस्ती न करना बेहतर है। इस रात तिलावत खूब करनी चाहिए। इस रात के बाद अगले दिन का रोजा रखना अफजल है।
यह नहीं करना चाहिए
दरगाह मुबारक खां शहीद मस्जिद के इमाम मौलाना मकसूद आलम मिस्बाही ने कहा कि इस मुबारक रात की कद्र न करना, इबादत में सुस्ती व काहिली करना, सिनेमा देखना, चाय खानों में रात गुजार देना, आतिशबाजी खुद जलाना या बच्चों को इसकी आदत डालना, रात फिजूल काम और गपशप में गुजार देना, बुरे काम करना, लोगों को सताना, गीबत और चुगली में वक्त बर्बाद करना, रात तमाम सोते रहना वगैरह ये तमाम बातें खुदा और उसके पैगम्बर को नाराज करती हैं। इससे सख्ती से बचना चाहिए। बाइक स्टंट वगैरह भी नहीं करना चाहिए।