गोरखपुर। तहरीक दावते इस्लामी हिन्द की जानिब से शनिवार को रसूलपुर जामा मस्जिद में ‘शब-ए-मेराज’ जलसा हुआ। हाथों में इस्लामी झंडा व सरों पर हरा अमामा पहने लोग आकर्षण का केंद्र रहे।
मुख्य वक्ता जुबैर अत्तारी ने कहा कि रसूल-ए-पाक (हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहौ अलैही वसल्लम) पर मेराज शरीफ की मुबारक रात में अहकामे खास नाजिल हुए। आप दीदार-ए-खुदावंदी से सरफराज हुए। मेराज शरीफ रसूल-ए-पाक का अजीम मोज़जा है। अल्लाह ने रसूल-ए-पाक को अज़ीम इज्जतों वकार से नव़ाजा। उन्होंने लोगों से अपील किया कि वह नमाज, रोजा, जकात, हज व सुन्नत-ए-रसूल की पाबंदी करें। बच्चों को दीनी व दुनियावी तालीम दिलाएं। पाकीजा रिज्क (कमाई) से खुद की और बच्चों की परवरिश करें। मां-बाप, उलेमा, रिश्तेदार, पड़ोसियों का अदबो ऐहतराम हर हाल में किया जाए।
विशिष्ट वक्ता मो. फरहान अत्तारी ने कहा कि पूरी इंसानियत की भलाई मजहब-ए-इस्लाम के अंदर हैं। कुरआन में सारी समस्याओं का हल और सही रहनुमाई हैं। अल्लाह ने दुनिया को बनाने के बाद सबसे आला दर्जा इंसान (अशरफुल मख्लूकात) को अता किया और इस सिलसिले में उनकी हिदायत के लिए पैगम्बरों का सिलसिला जारी फरमाया और रसूल-ए-पाक (हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहौ अलैहि वसल्लम) पर नुबूवत का सिलसिला खत्म फरमाया। आदिल अत्तारी ने ‘आला हजरत’ की लिखी नात पेश की – “वो जो न थे, तो कुछ न था, वो जो न हों, तो कुछ न हो। जान हैं वह जहान की, जान है तो जहान है।”
अध्यक्षता मौलाना शादाब अहमद ने व संचालन वसीउल्लाह अत्तारी ने किया। सलातो-सलाम पेशकर खास दुआएं मांगी गयीं। अंत में सलातुल तस्बीह की नमाज अदा की गयी। अकीदतंदों ने नफ्ली रोजे की नियत से सेहरी खायी। इस दौरान नफीस अत्तारी, अम्मार अत्तारी, मो. आजम अत्तारी, नदीम कादरी, सुहैल अत्तारी, मुबारक अत्तारी, अहमद अत्तारी, मेहताब अत्तारी सहित तमाम लोग मौजूद रहे।