आस्ताना-ए-शाहे रज़ा मे, रोज़ा अफ्तार के वक्तं देखने को मिला इंसानियत और अदब का मंजर

एक ही सफ़ में ख़डे हो गये महमूद-ओ-अयाज़
न कोई बन्दा रहा, न कोई बन्दा नवाज़

लखनऊ। हज़रत मोहम्मद सबाहत हसन शाह सज्जादानशीन, दरगाह ख्वाजा मोहम्मद नबी रज़ा शाह अलमारूफ दादा मियां (रहमुल्लाह अलैह) ने आस्ताना-ए-शाहे रज़ा में 24 रमज़ानुल मुबारक के मौके पर रोज़ा अफ्तार का ऐहतमाम किया।
रोज़ा अफ्तार में आये सभी रोज़ादारो और मेहमानो का दरगाह दादा मियां के सज्जादानशीन सबाहत हसन शाह ने बड़ी मोहब्बतों खुलूस के साथ स्वागत कियां। रोज़ा अफ्तार के वक्त आस्ताना-ए-शाहे रज़ा इंसानियत और अदब का आइना नज़र आया,

दादा मियां ने अपनी तमाम उम्र इंसनियत और अदब का पाठ पढ़ाया है – सबाहत हसन शाह

सज्जादानशीन सबाहत हसन शाह ने दरगाह के परिसर मे मग़रिब की अज़ान होते ही सभी रोज़ादारो और मेहमानो के साथ रोज़ा अफ्तार किया, रोज़ा अफ्तार के बाद दरगाह परिसर मे बनी मस्जिद में सबके साथ मग़रिब की नमाज़ अदा की।

सबाहत हसन शाह ने बताया कि हर माह चाद की 24 तारीख को दरगाह शरीफ में फातिहा का ऐहतमाम किया जाता है और रमज़ान के महीने में 24 रमज़ानुल मुबारक को रोज़ा अफ्तार का ऐहतमाम किया जाता है। ये रोज़ा अफ्तार पिछले 60 वर्षो से भी ज्यादा समय से किया जा रहा है।

दादा मियां ने हर ज़रूरतमन्द और परेशान की परेशानी को बिना तफरीक़ के दूर किया है

उन्होंने बताया कि इस रोज़ा अफ्तार में दरबार-ए-शाहे रज़ा के दरवाज़े सभी धर्मो के मानने वालो के लिए खुले है, रोज़ा अफ्तार में सिर्फ मुस्लिम ही नही बल्कि सभी धर्मो के मानने वाले लोग शरीक़ होते आ रहे है क्योकि दादा मियां ने अपनी तमाम उम्र इंसनियत और अदब का पाठ पढ़ाया है। अपने दरबार में आने वाले हर ज़रूरतमन्द और परेशान की परेशानी को बिना तफरीक़ के दूर किया है।

रोज़ा अफ्तार में एक साथ शामिल होने से रोज़ा अफ्तार कराने वाले और रोज़ा अफ्तार करने वाले दोनो को सवाब मिलता है – मौलाना इरफान मियां फिरंगी महली

रोज़ा अफ्तार में पहुचें मौलाना इरफान मियां फिरंगी महली ने संस्कार न्यूज़ चैनल के संवाददाता से बातचीत में कहा कि रमज़ान का महीना इबादत बरकत और मग़फिरत का महीना है। रोज़ा अफ्तार छीनने नही बल्कि लुटाने का काम है। रोज़ा अफ्तार में एक साथ शामिल होने से रोज़ा अफ्तार कराने वाले और रोज़ा अफ्तार करने वाले दोनो को सवाब मिलता है, कोशिश करें कि रोज़ा अफ्तार में ज्यादा से ज्यादा ग़रीबो और मिसकीनो को दावत दे।

बुजुर्गो की दरगाहों और ख़ानक़ाहो से मानवता और प्रेम का सन्देश दिया जाता है – पूर्व आई.ए.एस. अनीस अंसारी

संस्कार न्यूज़ चैनल से बातचीत के दौरान पूर्व आई.ए.एस. अनीस अंसारी ने कहा कि जो ग़रीबो का भला करेगा ईष्वर उसका भला करेगा और उन्होने कहा कि बुजुर्गो की दरगाहों और ख़ानक़ाहो से मानवता और प्रेम का सन्देश दिया जाता है सभी देशवासियो को चाहिए कि बुजुर्गो के बताये रास्ते पर चलते रहे और नेकी और सच्चाई का हमेशा दामन थामे रहे।

दरगाह दादा मियां में रोज़ा अफ्तार की दावत में आये जौनपुर के पूर्व विधायक मोहम्मद अरशद खान ने कहा कि रमज़ान मुबारक के मौके पर सिर्फ मुस्लिम ही रोज़ा अफ्तार की दावत का ऐहतमाम नही करते बल्कि एक बड़ी तादात में हिन्दू भाई भी अपने यहा रोजा अफ्तार की दावत का ऐहतमाम करते है और मुस्लिम भाईयो को रोज़ा खुलवाते है। ये देश बहुत अच्छा है इसकी संस्कृती इसके संस्कार और इसकी तहज़ीब पूरी दुनिया में एक मिसाल है यहा हिन्दू मुस्लिम ही नही बल्कि सारे धर्मो के लोग एक साथ मिलकर एक दूसरे की ख़ुशी एक दूसरे के ग़म और एक दूसरे के त्योहारो में शरीक होते है।
मोहम्मद अब्बास एडवोकेट ने कहा कि दरगाह शरीफ मे सभी धर्मो के लोगो ने एक-साथ रोज़ा अफ्तार किया और दुआ की।

रोज़ा अफ्तार के मौके पर बड़ी तादात में रोज़ादारो ने शिरकत की और दरगाह दादा मियां में अपनी हाज़िरी दर्ज कराई। अफ्तार मे मौलाना इरफान मियां फिरंगी महली, समाजवादी पार्टी के पूर्व मंत्री व विधायक शिवपाल सिंह यादव, भारतीय जनता पार्टी के राज्यसभा सांसद अशोक बाजपेयी, पूर्व आई.ए.एस. अनीस अंसारी, पूर्व मंत्री व कांग्रेसी नेता नसीमुद्दीन सिद्दीकी, पूर्व सांसद दाउद अहमद, पूर्व सपा विधायक जौनपुर, मोहम्मद अरशद खान, मोहम्मद अब्बास एडवोकेट, पूर्व प्रदेश सचिव सपा मीसम जैदी, मोहम्मद अली साहिल, एहसन आज़मी, रिज़वान फ़ारूकी, प्रोफेसर खान आतिफ के अलावा हज़ारो की सख्यां मे दादा मियां के चाहने वाले मौजूद रहे।