मूल्यांकन के दौरान टीचरों का हंगामा, CCTV कैमरे बने तमाशबीन

गोरखपुर। बोर्ड की परीक्षा निष्पक्ष समपन्न कराने के लिए सरकार पूरी तरह से गंभीर नजर आई, और तकरीबन तकरीबन निष्पक्ष तरीके से परीक्षा भी संपन्न हुई, लेकिन उसके बाद सीसीटीवी कैमरे के नजर में बोर्ड की परीक्षा की कांपिया जाँची जाएगी, और पिछले 3 दिनों से बोर्ड की कांपिया अलग अलग स्कुलो में जाँची जा रही है, लेकिन लगभग लगभग सभी स्कुलो में टीचर अपनी समस्या को लेकर प्रदर्शन कर रहे है, इनके कांपी जांचने के दौरान इन्हें बिजली पानी नहीं मिल रही है, जिसको लेकर ये आज आक्रोशित है और कॉपी मुल्यांकन का बहिष्कार कर दिया।

गोरखपुर के तुलसीदास इंटर कालेज में दर्जनों की संख्या में शिक्षक आज आक्रोशित है, और ये प्रदर्शन करने को बाध्य है, इन लोगो के जिम्मे गोरखपुर के बोर्ड की कांपिया जांचने की जिम्मेदारी दी गई है, लेकिन इन्हें मूल भुत सुविधा नहीं मिल रही है, और आज ये इसको लेकर प्रदर्शन करने को मजबूर है, इसकी जानकारी मिलते ही मौके पर पहुचे सिटी मजिस्ट्रेट ,बीएसए और सीओ कोतवाली  पहुच कर टीचरों को समझाया, साथ ही पुलिस द्वारा इन्हें नसीहत भी दी गई, और कहा गया, कि अगर कल से समय से नहीं आये आप लोग तो गेट बंद कर दिया जायेगा, और सभी हाजरी चेक होगी |

गोरखपुर के टीचरों की माने तो इन्हें कांपिया जांचने की जिम्मेदारी दी गई है, लेकिन इनके कमरों में एक एक बेंच पर 3 – 3 टीचरों की कांपिया जाच रहे है, लेकिन इन्हें न तो बिजली मिल रही है, और न ही पानी, सीसीटीवी कैमरे लगे है, लेकिन वो कैमरे बिना बिजली के बंद पड़े है, और बिना सीसीटीवी के कांपिया जाँची जा रही है, जिस जगह पर इन्हें कांपी जांचने का जिम्मा मिला है, वहा पर बकाया होने के कारण बिजली काट दी गई है, और ये इसी गर्मी में बिना बिजली के कांपिया जांच रहे है, पिने के लिए पानी भी नहीं है, तमाम तरह की समस्या इनके सामने है, बावजूद इसके ये  कांपिया जांच रहे है, और जबरन इन पर रौब जमाया जा रहा है, जिसको लेकर ये आज विरोध करने को मजबूर हो गए है |

जहा सरकार निष्पक्ष होकर बोर्ड की परीक्षा कराने को लेकर गंभीर नजर आई, वही दूसरी तरफ तरफ निष्पक्ष होकर बोर्ड की कांपिया जांची जाए उसको लेकर हर कमरे में सीसीटीवी कैमरे लगाये गए, लेकिन बिजली न होने के नाते ये कैमरे केवल शो पीस बन कर रहे गए है, और इन टीचरों के लिए न तो बिजली है, और न ही पानी की व्यवस्था, इसे में इनका आक्रोश कितना जायज है, कितना नहीं ये तो हम नहीं कह सकते है, लेकिन इस परेशानियों के बाद ये अपने कर्तव्य का कैसे करें।