रसूल-ए-पाक से अकीदत व मोहब्बत ईमान का आधार

“तहफ्फुज़ अकायद सुन्नियत” कांफ्रेंस

गोरखपुर। सुन्नी हनफी ऑर्गनाइजेशन नागपुर के चेयरमैन व इस्लामिक विद्वान मौलाना मोहम्मद फारूक खान रजव़ी ने कहा कि रसूल-ए-पाक (हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहौ अलैही वसल्लम) से अकीदत और मोहब्बत को ईमान का आधार मानना हर मुसलमान के लिए जरुरी है। रसूल-ए-पाक की शान में जरा सी भी गुस्ताखी ईमान के लिए खतरनाक है।

कुरआन में है कि खुदा और उसके फरिश्ते रसूल-ए-पाक पर दरूदो-सलाम भेजते हैं। अल्लाह ने अपने आखिरी रसूल के अतिरिक्त और किसी को भी अर्श पर नहीं बुलाया। इसी से रसूल-ए-पाक की शान का अंदाजा लगाया जा सकता है।

मौलाना फारूक अंजुमन ज्य़ाए मुस्तफा कमेटी की ओर से रविवार को चक्शा हुसैन जमुनहिया बाग गोरखनाथ में आयोजित ‘तहफ्फुज़ अकायद सुन्नियत’ कांफ्रेंस में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे।

उन्होंने कहा कि जब तक अकीदा दुरुस्त नहीं होगा तब तक हमारी एक भी इबादत कबूल नहीं होगी। उन्होंने उलेमा को संबोधित करते हुए कहा कि आप मुसलमानों को अकीदे के बारे में पहले बताएं उसके बाद अमल के विषय में बात करें। हमें हर कार्य कुरआन और हदीस में बताए गए तरीके से ही करना चाहिए। इस्लाम कल भी हक था, आज भी हक है और कल कयामत तक हक ही रहेगा। हर इंसान को एक दिन मौत का मजा चखना है इसलिए कब्र और कयामत के दिन के लिए तैयारी में हमें कोताही नहीं बरतनी चाहिए। हर हाल में नमाज कायम कीजिए।

विशिष्ट अतिथि मुफ्ती मो. अजहर शम्सी ने कहा कि कुरआन पाक खुदा का कलाम हैं। यह एक वाहिद किताब हैं जो सारी किताबों की सरताज हैं। यहां तक कि कयामत तक पैदा होने सारे सवालों का जवाब कुरआन पाक में हैं। मजहबे इस्लाम ने इस किताब के जरिए जो कानून अता किए है उनसे इंसानियत की हिफाजत होती है और आदमियत का वकार बढ़ता है। हमारा मजहब पूरी इंसानी बिरादरी की हिफाजत की बात करता हैं। इसलिए सारे लोगों को इस्लामी कानून पर गौर करने की दावत दी जाती हैं। मुसलमानों को रसूल-ए-पाक से अपना रिश्ता मजबूती के साथ कायम करना होगा। तभी मुसलमानों को इज्जत मिलेगी।

विशिष्ट अतिथि मौलाना कमरुज्जमां ने अवाम से कहा कि अपने दिल को रसूल-ए-पाक के इश्क का मदीना बना लो। रसूल-ए-पाक के इश्क में तड़पने वाला दिल मोमिन का दिल है। नाम से नहीं अमल व किरदार से भी मुसलमान बनो। रसूल-ए-पाक के वफादर बनो। हक बोलो, हक कहो, हक के तरफदार बनो। सब्र और नमाज के जरिए मदद तलब करो। बुराई से दूरी अख्तियार करो। बच्चों को डाक्टर, इंजीनियर के साथ दीनदार बनाओ। बच्चा अगर दीनदार होगा तो वह जिस भी क्षेत्र में जायेगा दीन उसकी रहनुमाई करता नजर आयेगा। सामाजिक सुधार की बात करने वाले पहले खुद के अंदर सुधार लाएं। मुसलमानों इस्लाम का दामन मजबूती से थाम लो, दुनिया भी संवर जायेगी और आखिरत भी।

तिलावत कारी मो. जुल्करनैन ने व नात शमीमुल कादरी, मो. हसन ने पढ़ी। संचालन मौलाना आफताब आलम ने व अध्यक्षता कारी रईसुल कादरी ने की। अंत में सलातो-सलाम पढ़कर मुल्क और कौम की तरक्की के लिए दुआ मांगी गयी। इस अवसर पर मुनाजिर हसन, सैयद सेराज अहमद नूरी, इरशाद अहमद, अमीन अहमद, नसीम अहमद, शादाब अहमद, मजहर हुसैन, ईनाम अली, शफीउल्लाह कादरी, अब्दुल कादिर, अब्दुल रशीद, मो. हनीफ उर्फ भोनू, सुबराती उर्फ राजन, कारी मोहसिन, कारी मो. रमजान अली, मौलाना आस मोहम्मद, शमीम आदि मौजूद रहे।