गोरखपुर। झूंसी के पीर-ए-तरीकत सैयद गुलाम ग़ौस मियां ने कहा कि रसूल-ए-पाक (हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहौ अलैही वसल्लम) ने इस दुनिया में अमन-शांति का पैगाम दिया ताकि हम सब एक दूसरे से मिल जुलकर रहे। हम इंसान हैं। हमें एक दूसरे से मोहब्बत से पेश आना चाहिए। मोहब्बत का नाम इस्लाम है। आपसी भाइचारे का नाम इस्लाम है। गरीब, बेसहारों का सहारा देने का नाम इस्लाम है। इस्लाम हर बुराई को रोकता है। इस्लाम कभी भी किसी भी गलत काम करने की इजाजत नहीं देता। इस्लाम अमन-शांति का पैगाम देता है।
उक्त बातें सैयद गुलाम गौस मियां ने शुक्रवार को बरकातिया कमेटी द्वारा इलाहीबाग में आयोजित 11वें सालाना जलसे में कहीं।
उन्होंने कहा कि कुरआन की तालीम हमारी जिंदगी में बहुत जरूरी है। हमें पहले अपने बच्चों को कुरआन की तालीम देनी चाहिए। उसके बाद उसे डॉक्टर, इंजीनियर, प्रोफेसर या कोई अफसर बनाएं ताकि वह दीनदार हो दीन-ए-इस्लाम की खिदमत करे। कुरआन व रसूल-ए-पाक की तालीमात से मुसलमान आज दूर होते जा रहे है जिसके कारण तमाम परेशानियां उनका मुकद्दर बनी हुई है। यह उम्मत सिर्फ रसूल-ए-पाक की जात पर एक हो सकती है और खोया हुआ वकार वापस पा सकती है।
टांडा से आए अबुतलहा अत्तारी ने भी मुस्लिम समाज के मौजूद हालात पर रौशनी डाली और परेशानियों से निकलने का तरीका बताया।
अध्यक्षता वसीउल्लाह अत्तारी ने व संचालन शुएब ने किया। जलसे का आगाज तिलावत-ए- कुरआन पाक से कारी फरोग ने किया। नात आदिल ने पेश की।
इस मौके पर वजीहुद्दीन बरकाती उर्फ बब्लू, मो. फ़राज़, मो. वसी खान, शब्बीर, गुलाम मोईनुद्दीन, रजीउल्लाह अंसारी, सैफुद्दीन, जीशान, नूर आलम आदि मौजूद रहे।