सामने आई गाँव के विकास की सच्चाई, करोड़ो की योजनाओं के बावजूद शौचालय में दीवार तक नहीं

लड़के लड़कियों के लिए लिए बने शौचालय में बीच की दीवार नहीं हैं

लड़के और लड़कियों के लिए बने शौचालय में बीच की दीवार तक नहीं

अमेठी। हमारे देश मे शुरू से ही गाँवो को देश की रीढ़ की हड्डी माना गया हैं और आज़ादी के बाद से ही गाँव के सर्वांगीड़ विकास की योजनाएं लाई जा रही है। शिक्षा पर भी ज़ोर दिया जा रहा है ताकि गाँव के बच्चों का विकास हो सके। इसके लिए हर सरकार करोड़ो अरबों का फण्ड देती रहती हैं और हर सरकार का दावा रहता है की गाँवो में बच्चों को प्राथमिक विद्यालय में दी जा रही सुविधायें बढ़ाई जा रही हैं। पर सच्चाई दावों से बिल्कुल परे हैं।

नावनिहाल पढ़ रहे हैं बिना पंखे के

अमेठी स्थित विष्णुपुर गाँव में प्राथमिक विधालय में हालात बद से बदतर है। बच्चों के लिए क्लास में पंखे तक नही लगे हैं बेचारे नव-निहाल भरी गर्मी मे बिना पंखों के पढ़ते हैं और अध्यापिकाये गर्मी में पढ़ाती है। साथ ही स्कूल के बाहर बिजली के तार बल्ली पर लपेट के लगाए गए है जिससे कभी भी कोई बड़ी दुर्घटना होने की संभावना बनी रहती है।

जिलाधिकारी अमेठी एवं SDO को लिखित प्रार्थनापत्र देने के बावजूद नहीं हुई कोई कार्यवाही

इतना ही नहीं शौचालय में लड़के लड़कियों के लिए लिए बने शौचालय में बीच की दीवार ही नहीं हैं।, स्कूल की खिड़कियों में भी दरवाज़े नहीं लगे है जिसके कारण क्लासों के अंदर तक धूप भरी रहती हैं और बरसात में पानी भी अंदर आ जाता है जिसके कारण बच्चों को काफी तकलीफ़ का सामना करना पड़ता है। विधालय को आने वाली सड़क भी ठीक से नहीं बनी हैं। विधालय की प्रधानाचार्या द्वारा जिलाधिकारी अमेठी एवं SDO आदि संबंधित कई अधिकारियों को विधालय की समस्यायों के बारे में लिखित प्रार्थनापत्र दिया जा चूका है। इसके बावजूद विधालय की समस्याओ के निस्तारण के लिए कही पर कोई भी कार्यवाही नहीं हुई।
यहाँ की प्रधानाचार्या ने मौजूदा ग्राम प्रधान से भी विधालय की समस्याओ के बारे में बताया इस बात पर मौजूदा ग्राम प्रधान भी पूर्व प्रधान के सर पर इन असुविधाओं का ठीकरा फोड़ता नज़र आया।

यह गाँव दलित बाहुल्य गाँव है और प्रधान भी बसपा से है। इस विद्यालय में यह सब समस्याए उन लोगों के मुँह पर बड़ा तमाचा हैं जो दलित विकास और हित की बातें करते है और दलित वोटों के लिए गंदी राजनीति करते हैं। यह देश के लिए और सभी राजनेताओं के लिए शर्म की बात है कि गावों के विकास के लिए करोड़ो रूपये की योजनाओं के बाद भी यह है विकास की सच्चाई हैं। गौर तलब हैं कि करोड़ो की योजनाओं का फंड जाता कहाँ हैं?