अवैध अल्ट्रासाउण्ड केन्द्रों पर नकेल लगाने के लिए डीएम ने दिया आदेश
गोरखपुर। अवैध अल्ट्रासाउण्ड केन्द्रों पर नकेल लगाने के क्रम में डीएम ने सभी पंजीकृत अल्ट्रासाउण्ड केन्द्रों पर गर्भवती महिलाओं के लिए पहचान पत्र देना अनिवार्य कर दिया है। डीएम ने इस व्यवस्था का कड़ाई से पालन कराने का निर्देश दिया है। उन्होंने कहा है कि जब भी अधिकारी सेन्टर की जांच करने जाएं तो रजिस्टर का मिलान करें कि कितनी गर्भवती महिलाओं ने अल्ट्रासाउण्ड कराया और कितने का आईडी कार्ड जमा है।
डीएम के. विजयेन्द्र पाण्डियन पीसीपीएनडीटी एक्ट 1994 के तहत गठित जिला स्तरीय सलाहकार समिति की बैठक को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने निर्देश दिया है कि एमसीटीसी साफ्टवेयर में प्रत्येक गर्भवती महिला का रिकार्ड दर्ज होता है और आशा व एएनएम को इसकी जानकारी भी होती है। इस साफ्टवेयर में दर्ज महिला का नम्बर से उसके बारे में आवश्यक जानकारी प्राप्त की जाती है। पीसीपीएनडीटी एक्ट में भी इस नम्बर का उपयोग किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि गर्भावस्था के दौरान हुए एर्बाशन की रिपोर्ट मंगाई जाए ताकि कारण स्पष्ट हो सके। उन्होंने कहा कि शासन के निर्देश पर 28 मई तक संचालित जांच अभियान में जिले की सभी अल्ट्रासाउण्ड सेन्टर की जांच कराई जाए। इसके लिए तहसीलवार टीमें गठित की गई है।
बैठक के दौरान बताया गया कि जिले में कुल 222 पंजीकृत सेन्टर है। जिसमें से 5 सरकारी है। इन सेन्टर पर 248 फिक्सड एवं 13 पोर्टेबल मशीन है। माह अप्रैल में कुल 23 सेन्टर का निरीक्षण किया गया है जबकि अभियान के तहत 30 सेन्टर चेक किये गए हैं। बैठक में बाललिंग अनुपात पर भी चर्चा की गई। समीक्षा में पाया गया कि वर्ष 2001 गोरखपुर में वर्ष 2001 में 1000 पुरुष पर 934 महिला और वर्ष 2011 में 909 महिलायें थी। जबकि 2015-16 में यह 951 था।
बैठक का संचालन अपर मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. एनके पाण्डेय ने किया। उन्होंने बताया कि पिछले 6 साल में 63 केन्द्र सील किये गये है तथा 22 का पंजीकरण निरस्त किया गया है। 20 के खिलाफ मुकदमें दर्ज कराए गए हैं। बैठक में डीजीसी सिविल यशपाल सिंह, डा0 डीके सोनकर, डॉ. मनौवर सुल्ताना, डॉ. साइबा सिद्दीकी, डॉ. जयशंकर प्रसाद सिंह और पीजीएसएस आशीष राय उपस्थित रहें।