New export hubs : उत्तर प्रदेश के छोटे जिले बन रहे हैं निर्यात के नए केंद्र, बड़े शहरों से आ रहे हैं चिंताजनक आंकड़े

New export hubs : उत्तर प्रदेश के छोटे जिले बन रहे हैं निर्यात के नए केंद्र, बड़े शहरों से आ रहे हैं चिंताजनक आंकड़े

New export hubs :उत्तर प्रदेश के छोटे जिले अब निर्यात के नए केंद्र बनते जा रहे हैं। चंदौली, जो धान की पैदावार के लिए प्रसिद्ध है, वहां से चावल का निर्यात हाल के वर्षों में तेजी से बढ़ा है। यह न सिर्फ क्षेत्र की अर्थव्यवस्था को गति दे रहा है, बल्कि किसानों को भी बेहतर आमदनी का जरिया मिल रहा है।

New export hubs :इसी तरह, महोबा का पान, जो अपनी विशिष्ट सुगंध और गुणवत्ता के लिए जाना जाता है, अब अंतरराष्ट्रीय बाजार में पहुंच चुका है। इससे स्थानीय किसानों को नया बाजार मिला है और पारंपरिक फसलों की मांग में भी उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। उत्तर प्रदेश के छोटे और मझोले जिले अब निर्यात के क्षेत्र में नई पहचान बना रहे हैं। राज्य सरकार की ताज़ा जिलेवार जीडीपी रिपोर्ट के मुताबिक, चंदौली, कौशांबी, जालौन जैसे जिलों ने निर्यात में जबरदस्त वृद्धि दर्ज की है। खासतौर पर कौशांबी में 1247.21% और जालौन में 998.51% की बढ़त ने सबका ध्यान खींचा है। पश्चिम से लेकर पूर्वांचल तक के जिलों में स्थानीय उत्पाद अब वैश्विक बाजार में अपनी जगह बना रहे हैं। यह बदलाव न केवल आर्थिक विकास का संकेत है, बल्कि यह भी दिखाता है कि ग्रामीण और अर्ध-शहरी इलाकों की आर्थिक भूमिका अब तेजी से बढ़ रही है।

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विदेशों में बिक रहे इस शहर के पान के पत्ते, चावल, आलू और कढ़ाई वाले परिधानों की भी बढ़ी मांग

उत्तर प्रदेश के छोटे जिले अब निर्यात के क्षेत्र में बड़ी उपलब्धियां हासिल कर रहे हैं। चंदौली, जो धान की भरपूर पैदावार के लिए जाना जाता है, वहां से चावल का निर्यात तेजी से बढ़ रहा है। दूसरी ओर, महोबा के पान के पत्ते अब विदेशों में भी अपनी खुशबू बिखेर रहे हैं, जिससे स्थानीय किसानों को नया बाजार मिल रहा है। फतेहपुर से आलू आधारित खाद्य उत्पादों और हैंडप्रिंटिंग कला की भी विदेशी मांग बढ़ी है। वहीं, रामपुर की रंगीन आभूषणों से सजे कढ़ाईदार परिधान भी अंतरराष्ट्रीय बाजार में पहचान बना रहे हैं। ये बदलाव प्रदेश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाइयों पर ले जा रहे हैं।

निर्यात में नई उड़ान के बीच गिरावट की चिंता: यूपी के बड़े औद्योगिक जिलों से आई निराशाजनक खबर

उत्तर प्रदेश के छोटे और मझोले जिले जहां निर्यात के नए सितारे बनते जा रहे हैं, वहीं राज्य के कुछ पारंपरिक और बड़े औद्योगिक केंद्रों से निर्यात में गिरावट चिंता का विषय बन रही है। वर्ष 2023-24 में मुज़फ्फरनगर में निर्यात 45.09% तक घटा, जबकि मेरठ में यह गिरावट 24% की रही। बुलंदशहर ने 46.33%, फ़र्रुखाबाद ने 36.44% और कुशीनगर ने 59.30% की गिरावट दर्ज की। यहां तक कि कानपुर, जिसे राज्य का औद्योगिक दिल कहा जाता है, वहां भी निर्यात में 0.05% की गिरावट दर्ज की गई है। ये आंकड़े असंतुलन की ओर संकेत करते हैं, जिस पर नीति-निर्माताओं को तत्काल ध्यान देना होगा।

छोटे जिलों की उड़ान, बड़े शहरों की सुस्ती: सरकार के सामने संतुलित विकास की चुनौती

उत्तर प्रदेश में निर्यात के ताज़ा आंकड़े सरकार के लिए एक दोधारी तस्वीर पेश कर रहे हैं। एक ओर जहां छोटे और मझोले जिलों ने निर्यात में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की है, वहीं दूसरी ओर राज्य के पारंपरिक औद्योगिक केंद्रों में गिरावट ने चिंता बढ़ा दी है। यह स्थिति सरकार के सामने एक नई चुनौती रखती है—छोटे जिलों की प्रगति को बनाए रखते हुए बड़े औद्योगिक क्षेत्रों में आई सुस्ती का कारण तलाशना और उसे दूर करना। निर्यात में संतुलन बनाए रखना अब सरकार के आर्थिक एजेंडे में शीर्ष प्राथमिकता बन गया है।

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