डिबार के तहत हुई कार्रवाई से नाखुश छात्र विरोध पर उतारू, छात्रों ने विश्वविद्यालय प्रशासन को 48 घण्टे तक भूख हड़ताल पर बैठे रहने का दिया अल्टीमेट
वाराणसी। वाराणसी के काशी हिंदू विश्वविद्यालय एक बार फिर सुर्खियों में है। दरसल विगत दिनों विश्वविद्यालय ने हंगामा करने वाले छात्रों सख़्त रवैया अपनाते हुए करीब 72 छात्रों के कार्रवाई किया। करीब 16 छात्रों को डिबार के साथ कुल 72 छात्रों के सस्पेंड किए जाने की ख़बर से छात्रों में आक्रोश का माहौल है। इसी को लेकर छात्र विश्वविद्यालय में बीएचयू प्रशासन के ख़िलाफ़ भूख हड़ताल पर चले गए। छात्र अपने ऊपर हुए कार्रवाई को लेकर सेंट्रल ऑफिस के गेट पर बरसात में भूख हड़ताल कर रहे है। छात्रों के धरने को लेकर प्रशासन में हड़कंप मचा हुआ है। विश्वविद्यालय प्रशासन छात्रों को मनाने में जुटा है लेकिन छात्र अपने ऊपर हुए इस कार्रवाई को प्रशासन की तानाशाही रवैया बताते हुए देर रात तक धरने पर बैठे हुए है।
काशी हिन्दू विश्व विद्यालय की शैक्षणिक सत्र प्रारंभ होते ही वर्ष 2016 के बाद से किसी तरह के हंगामे में शामिल हुए छात्रों के ऊपर कड़ा रुख अपनाया है। विश्वविद्यालय प्रशासन ने 16 छात्रों जिसमें दो छात्राएं भी हैं उनके ऊपर डिबार के साथ करीब 72 छात्रों को सस्पेंसन की कार्यवाही की गई है। यह मामला अब विश्वविद्यालय में गर्मआने लगा है। डिबार के तहत हुई कार्रवाई से नाखुश छात्र विरोध पर उतारू हो गए हैं। छात्र अपने ऊपर हुए कार्रवाई को लेकर सेंट्रल ऑफिस पहुचे लेकिन छात्रों को सेंट्रल ऑफिस के बाहर ही रोक दिया गया जिसे छात्र बाहर ही बैठ गए बारिश होते हुए भी छात्र बाहर ही बैठे है। छात्रों ने विश्वविद्यालय प्रशासन को 48 घण्टे तक भूख हड़ताल पर बैठे रहने का अल्टीमेट दिया है, उसके बाद भी बात नही माना गया तो आमरण अनशन भी करंगे। वही छात्र को भूखहड़ताल खत्म कराने के प्रोफेसर,डीन, चिफप्राक्टर के जूस पिलाना चाह फिट दोनों छात्र नही माने और हाथ जोड़ कर जूस पीने से मना कर दिया।
डिबार किए गए छात्रों का आरोप है कि उन लोगों पर जानबूझकर कार्यवाही किया गया है। जिस घटना पर उन पर कार्यवाही किया गया था उन घटनाओं में वह थे ही नही। छात्रों का आरोप है कि चीफ प्रॉक्टर जानबूझकर हम को विभिन्न मामलों में फंसा रही हैं। चीफ प्रॉक्टर को हटाया जाए। एक कमेटी घोषित की जाए। डिबार छात्र आशुतोष त्रिपाठी ने कहा कि हम लोग इस लिए धरने पर बैठे है कि पिछले 6 से 7 महीनों चीफ प्रॉक्टर द्वारा तानाशाह रवया अपनाया जारहा है। ना किसी छात्र को कुछ बताया जारहा है ना समझाया जा रहा है।जब मन किया किसी छात्र को रिस्टिकेट, डिबाड, सन्सपेशन जैसे तुगलकी फरमान थमा दिया जा रहा है। हमे जो किया गया व भी अच्छे काम के लिए किया जारा है। उस समय चीफ प्रॉक्टर के लोग वहां मौजूद थे, हम लोगो को पर्सनली टारगेट कर के कार्रवाई किया जा रहा है। हम चिफप्राक्टर से मिले तो उन्होंने कहा तुमको जो करना है करो हम वीसी सर से भी मिले तो उन्होंने भी कहां जो कर सकती है मैम कर सकती है। हम लोग सब आफिस में लेटर दिया कि हम आज से शांति पूर्ण तरीके से भूखहड़ताल पर बैठ सेंट्रल आफिस के नीचे लेकिन हमको यहां बाहर रोक दिया गया हम लोग इस बारिश में बाहर बैठे है। हम तब तक नही उठेंगे जब तक हमारी मांग पूरी नही होती है। एक कमिटी गठित जांच हो जब तक जाँच तब चिफप्राक्टर को बरखास्त किया जाए। हम अभी 48 घण्टे के भूख हड़ताल पर है। मांग नही पूरा हुआ तो हम अनशन करेंगे। वही जब इस मामले को लेकर चीफ़ प्रॉक्टर से बात करने की कोशिश किया गया तो उन्होंने बात करने से इनकार कर दिया। छात्रों को मनाने पहुचे कला संकाय के संकायाध्यक्ष ने बताया कि हमने छात्रों को आश्वाशन दिया है और उन्हें मनाने की कोशिश कर रहे है।
नए शैक्षणिक सत्र के दौरान छात्रों के ऊपर हुए इस कार्रवाई से छात्रों में आक्रोश का माहौल है। वही विश्व विद्यालय प्रशासन के द्वारा की गई करवाई छात्रों के कैरियर को खराब कर देने वाली है, ऐसे में छात्रों के अंदर आक्रोश बढ़ता जा रहा है क्योंकि विश्व विद्यालय प्रशासन अपने इस फैसले पर अब तक कायम है। ऐसे में देखना यही होगा कि क्या विश्व विद्यालय प्रशासन छात्रों के कैरियर को ध्यान में रखते हुए अपने इस सख्त फैसले में कुछ ढिलाई बरतती है या फिर छात्र ऐसे ही शैक्षणिक सत्र में आन्दोलन पर बैठे रहेंगे।