RBI : आखिर कहते किसे है CRR जिसे कम कर RBI ने बैंको को दिया फायदा

RBI : आखिर कहते किसे है CRR जिसे कम कर RBI ने बैंको को दिया फायदा

RBI : रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने मॉनेटरी पॉलिसी की बैठक के निर्णय की जानकारी दी।आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने ब्याज दरों में भले कटौती नहीं की, लेकिन जीडीपी के अनुमान और कैश रिजर्व रेश्यों में कटौती की है।

RBI :भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने हाल ही में कैश रिज़र्व रेश्यो (CRR) में कटौती का ऐलान किया है। इस कदम से बैंकों को अधिक लिक्विडिटी (तरलता) मिलेगी और इसका सीधा लाभ आम जनता को भी हो सकता है। लेकिन, सवाल उठता है कि आखिर ये CRR होता क्या है और इसके घटने से बैंकों और जनता को कैसे फायदा होता है।

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क्या है CRR?

कैश रिज़र्व रेश्यो (CRR) वह न्यूनतम प्रतिशत है, जो प्रत्येक बैंक को अपनी कुल जमा का हिस्सा रिज़र्व के रूप में भारतीय रिज़र्व बैंक के पास रखना होता है। इसका उद्देश्य है कि बैंकों के पास पर्याप्त लिक्विडिटी रहे और जरूरत पड़ने पर बैंक अपनी जमा को पूरी तरह से वापस कर सकें।

CRR कम करने का असर

आरबीआई ने हाल ही में CRR को घटाकर 4% से 3.5% कर दिया है। इसका मतलब है कि अब बैंकों को अपनी जमा राशि का छोटा हिस्सा रिज़र्व के रूप में रखना होगा। इसके परिणामस्वरूप:

बैंकों के पास अतिरिक्त धन: CRR घटने से बैंकों को ज्यादा रकम उपलब्ध होगी, जिसे वे लोन देने या अन्य निवेशों में इस्तेमाल कर सकते हैं।
कर्ज सस्ता हो सकता है: जब बैंकों के पास ज्यादा फंड होता है, तो वे लोन पर ब्याज दरें कम कर सकते हैं। इसका फायदा ग्राहकों को मिलेगा, खासकर होम लोन, कार लोन और बिजनेस लोन लेने वालों को।
अर्थव्यवस्था को बढ़ावा: कम ब्याज दरें और अधिक लोन से आर्थिक गतिविधियां तेज हो सकती हैं। यह कंपनियों और व्यक्तिगत ग्राहकों दोनों के लिए फायदेमंद हो सकता है।

आम जनता को क्या लाभ होगा?

इस कदम का सबसे बड़ा असर लोन लेने वालों पर होगा। यदि आप घर खरीदने, कार खरीदने, या अपने व्यवसाय के लिए लोन लेने की योजना बना रहे हैं, तो यह सही समय हो सकता है। साथ ही, छोटे और मझोले उद्यमियों को भी सस्ती फंडिंग मिल सकती है, जिससे उनके कारोबार को रफ्तार मिलेगी।

रिस्क क्या है?

हालांकि CRR में कटौती से बैंकों को फायदा होगा, लेकिन यह ध्यान रखना जरूरी है कि इससे महंगाई बढ़ने का खतरा भी हो सकता है। अतिरिक्त लिक्विडिटी के चलते बाजार में पैसे की उपलब्धता बढ़ती है, जिससे डिमांड और महंगाई दोनों बढ़ सकते हैं।

निष्कर्ष

आरबीआई का यह कदम मौजूदा आर्थिक हालात को ध्यान में रखकर उठाया गया है। इससे न केवल बैंकों को बल्कि आम जनता को भी फायदा होने की उम्मीद है। हालांकि, महंगाई को नियंत्रित रखना सरकार और आरबीआई के लिए चुनौती बन सकता है।

यह समय आर्थिक फैसलों को समझने और अपने वित्तीय निर्णयों को सही तरीके से लेने का है।

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