ISRO : ISRO ने सुनीता विलियम्स की वापसी पर जताई खुशी

ISRO : ISRO ने सुनीता विलियम्स की वापसी पर जताई खुशी

ISRO : भारतीय अंतरिक्ष यात्री की मिशन सफलता पर दिलचस्प बयान। ISRO ने की उनकी बहादुरी और मेहनत की सराहना, और कहा- ‘भारत की अंतरिक्ष यात्रा में एक नया अध्याय शुरू हुआ है’। जानें, सुनीता ने अपनी सुरक्षित वापसी पर क्या प्रतिक्रिया दी और भविष्य की योजनाएं क्या हैं।”

ISRO : नासा के अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर 9 महीने अंतरिक्ष में बिताने के बाद सकुशल पृथ्वी पर लौट आए हैं। अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर अपनी विस्तारित मिशन के बाद दोनों अंतरिक्ष यात्री पृथ्वी पर सुरक्षित पहुंचे। उनकी वापसी पर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने सुनीता विलियम्स का गर्मजोशी से स्वागत किया। ISRO ने इसे एक महत्वपूर्ण उपलब्धि बताते हुए कहा कि यह NASA, SpaceX और संयुक्त राज्य अमेरिका की प्रतिबद्धता का शानदार उदाहरण है। इस मिशन में सुनीता ने अपने अद्वितीय साहस और समर्पण से एक नई मिसाल कायम की है।

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इसरो ने दी शुभकामनाएं

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के अध्यक्ष ने नासा की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स को उनकी सफलता पर हार्दिक शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा, “हम सुनीता की उपलब्धियों का सम्मान करते हैं, और उनका कार्य हमारे लिए प्रेरणा स्रोत है।”

भारत की अंतरिक्ष नीति को मजबूत करेगा सुनीता का कार्य

ISRO ने यह भी कहा कि सुनीता विलियम्स का कार्य भारत की अंतरिक्ष नीतियों को और भी मजबूत बनाएगा। साथ ही, यह भविष्य में अंतरिक्ष अन्वेषण में भारत की भूमिका को बढ़ावा देने में मदद करेगा।

प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में अंतरिक्ष क्षेत्र में विकास

ISRO ने यह भी बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत एक विकसित राष्ट्र बनने की दिशा में काम कर रहा है, और इस दिशा में सुनीता की विशेषज्ञता का उपयोग करने की योजना बनाई जा रही है।

अंतरिक्ष में विलियम्स की तीसरी उड़ान

सुनीता विलियम्स की यह तीसरी अंतरिक्ष उड़ान इतिहास में एक अहम पल बन गई है। वे पहले भी दो बार अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) जा चुकी हैं, लेकिन तीसरी बार उन्हें लंबा इंतजार करना पड़ा। इस बार उन्होंने अंतरिक्ष में कुल 608 दिन बिताए। 59 वर्षीय पूर्व अमेरिकी नौसैन्य कप्तान का जन्म 19 सितंबर 1965 को ओहियो के यूक्लिड में हुआ था। उनके पिता दीपक पांड्या गुजरात के मेहसाणा जिले से हैं, जबकि मां उर्सुलाइन बोनी पांड्या स्लोवेनिया से हैं। विलियम्स का साहस और समर्पण उन्हें एक प्रेरणा बनाता है।

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