Paris Paralympics 2024: पैरालंपिक में भारत को मिला सिल्वर मेडल

Paris Paralympics 2024: पैरालंपिक में भारत को मिला सिल्वर मेडल

Paris Paralympics 2024: पेरिस पैरालंपिक में भारत को सिल्वर मेडल मिला। स्टार एथलीट योगेश कथुनिया ने डिस्कस थ्रो में देश के लिए सिल्वर मेडल अपने नाम किया।

Paris Paralympics 2024: भारत ने पेरिस पैरालंपिक में एक और मेडल अपने नाम किया है। पैरा-एथलीट योगेश कथुनिया ने डिस्कस थ्रो में देश के लिए सिल्वर मेडल जीतकर एक बार फिर से देश का नाम रोशन किया है। इसी के चलते भारत के इस पैरालंपिक में पदकों की संख्या 8 हो चुकी है। एथलेटिक्स में भारत का यह चौथा पदक हो चुका है। रविवार को निषाद कुमार ने हाई जंप में देश के नाम सिल्वर मेडल किया।

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भारत के योगेश कथुनिया ने पेरिस पैरालंपिक में पुरुषों के F56 चक्का फेंक स्पर्धा में 42.22 मीटर के सत्र के अपने सर्वश्रेष्ठ प्रयास के साथ रजत पदक कथुनिया ने इससे पहले टोक्यो पैरालंपिक में भी इस इवेंट का रजत पदक अपने नाम किया। इस 27 साल के खिलाड़ी ने अपने पहले प्रयास में मौजूदा सत्र का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए 42.22 मीटर की दूरी तय की।

ब्राजील के नाम स्वर्ण पदक

ब्राजील के क्लॉडनी बतिस्ता डॉस सैंटोस ने अपने पांचवें प्रयास में 46.86 मीटर की दूरी के साथ इन खेलों का नया रिकॉर्ड कायम करते हुए पैरालंपिक में स्वर्ण पदक अपने नाम कर लिया। यूनान के कंन्स्टेंटिनो तजौनिस ने 41.32 मीटर के प्रयास के साथ कांस्य पदक अपने नाम किया। इस वर्ग में ऐसे खिलाड़ी होते है जिनकी रीढ़ की हड्डी क्षतिग्रस्त होती है और शरीर के निचले हिस्से में विकार होता है।

भारत को एथलेटिक्स में चौथा मेडल

पेरिस पैरालंपिक में भारत के लिए एथलेटिक्स टीम ने बेहतरीन प्रदर्शन किया है। अब तक भारत को कुल चार पदक भारतीय एथलीट द्वारा प्रदान किये गए हैं। प्रीति पाल ने वूमेन्स 100 मीटर रेस (T35) में ब्रॉन्ज मेडल जीता और फिर 200 मीटर रेस (T35) में भी देश के लिए कांस्य पदक हासिल किये है । टोक्यो में सिल्वर मेडल जीतने वाले निषाद कुमार अपना प्रदर्शन दोहराते हुए पेरिस में भी मेन्स हाई जंप (T47) में मेडल अपने नाम किया। अब योगेश कथुनिया ने डिस्कस थ्रो में सिल्वर मेडल जीत कमाल कर दिया।

कोच के बिना किया था अभ्यास

योगेश कथुनिया ने जीत के बाद कहा, ‘यह शानदार है। रजत पदक जीतने से मुझे पेरिस 2024 में स्वर्ण पदक जीतने के लिए अधिक प्रेरणा मिली है। उन्होंने कहा, ‘पिछले 18 महीनों में मैंने मुश्किलों का सामना किया। भारत में लॉकडाउन के कारण छह महीने प्रत्येक स्टेडियम बंद रहा। कथुनिया ने बोला , ‘जब मैं रोजाना स्टेडियम जाने लगा तो मुझे स्वयं ही अभ्यास करना पड़ा। मेरे पास तब कोच नहीं था और मैं अब भी कोच के बिना अभ्यास कर रहा हूं। यह शानदार है कि मैं कोच के बिना भी रजत पदक जीतने में सफल रहा।’

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