
यौम-ए-आशूरा पर दादा मियाँ की दरगाह पर हुआ कुल शरीफ़ व लंगर
यौम-ए-आशूरा (Youm-E-Ashura) पर दादा मियाँ (Dada Miyan) की दरगाह पर कुल शरीफ़ का प्रोग्राम हुआ और शाह नबी रज़ा ट्रस्ट (Shah Nabi Raza Trust) की जानिब से आम लंगर और सबील का एहतमाम किया गया।
लखनऊ। यौम-ए-आशूरा (Youm-E-Ashura) पर हज़रत ख़्वाजा मोहम्मद नबी रज़ा शाह अलमारूफ़ दादा मियां (Dada Miya) की दरगाह में हज़रत इमाम आली मक़ाम हुसैन रज़ी अल्लाहो तआला अन्हों का कुल शरीफ़ हुआ। 10 मोहर्रम यौम-ए-आशूरा का दिन, जो इस्लामी धर्म के अनुयायियों के लिए गहरा धार्मिक महत्व रखता है। यह दिन हज़रत इमाम हुसैन के और उनके साथियों के बलिदान, शहादत को याद करने, ताक़त और इमान की प्रेरणा प्रदान करता है।

हज़रत इमाम आली मक़ाम हुसैन रज़ी अल्लाहो तआला ने अपने घर के बच्चे बच्चे को हुज़ूर सल्ललाहो अलैहे वसल्लम की शरीयत के लिए क़ुर्बान कर दिया मगर हुज़ूर की शरीयत को दाग़ दार ना होने दिया। हुज़ूर इमाम-ए-हुसैन ने अपना सर देकर इस्लाम के परचम को बुलंद किया।
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शाह नबी रज़ा ट्रस्ट (Shah Nabi Raza Trust) की जानिब से 10 मोहर्रम यौम-ए-आशूरा (Youm-E-Ashura) के दिन दरगाह हज़रत ख़्वाजा मोहम्मद नबी रज़ा शाह अलमारूफ़ दादा मियां (Dada Miya) में भव्य लंगर-ए-आम और शबील का आयोजन किया, जिसमें स्थानीय श्रद्धालुओं और वोलंटियर्स ने सक्रिय रूप से हिस्सा लिया। लंगर-ए-आम में आने वाले लोगों को भोजन की सही विधि और परंपरा के साथ परोसा गया।


दरगाह हज़रत ख़्वाजा मोहम्मद नबी रज़ा शाह अलमारूफ़ दादा मियां (Dada Miya) के सज्जादानशीन हज़रत मोहम्मद सबाहत हसन शाह ने कहा, “यौम-ए-आशूरा (Youm-E-Ashura) के दिन, हम इमाम हुसैन के साहस, धैर्य, और सच्चे ईमान को याद करते हैं। हम उनके बलिदानी प्रेम के प्रति सम्मान करते हैं और उनके शिक्षाओं के अनुसरण के माध्यम से समाज में एकता, सद्भावना, और अच्छाई का संदेश फैलाते हैं।”