Amitabh Bachchan : सदी के महानायक की आवाज़ ज़्यादा कमाल नहीं दिखा पायी लेकिन उनकी फिल्म ने किया धमाल

Amitabh Bachchan : सदी के महानायक की आवाज़ ज़्यादा कमाल नहीं दिखा पायी लेकिन उनकी फिल्म ने किया धमाल

Amitabh Bachchan : बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन आज अपनी दमदार आवाज और प्रभावशाली अभिनय के लिए जाने जाते हैं। उनकी गहरी और गूंजती हुई आवाज ने उन्हें फिल्मों में एक अलग पहचान दी है। लेकिन, करियर के शुरुआती दिनों में यही आवाज उनके लिए एक बड़ी चुनौती बन गई थी।

Amitabh Bachchan : 1970 के दशक की शुरुआत में, जब अमिताभ बच्चन बॉलीवुड में अपनी पहचान बनाने के लिए संघर्ष कर रहे थे, उस समय उनके व्यक्तित्व और कद-काठी को लेकर कई फिल्म निर्माताओं ने उन्हें नजरअंदाज किया। लेकिन, एक बात जो उनके खिलाफ ज्यादा काम कर रही थी, वह थी उनकी आवाज। उस समय के कई फिल्म निर्माताओं को उनकी आवाज पसंद नहीं थी, यहां तक कि एक प्रमुख अभिनेता-निर्माता ने उनकी आवाज को लेकर इतनी नापसंदगी दिखाई कि उन्होंने अमिताभ को फिल्म में गूंगे का किरदार दे दिया।

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फिल्म ‘रेशमा और शेरा’ का किस्सा

यह वाकया 1971 में आई फिल्म ‘रेशमा और शेरा’ से जुड़ा है, जिसका निर्देशन और निर्माण मशहूर अभिनेता सुनील दत्त ने किया था। सुनील दत्त को अमिताभ बच्चन की आवाज पसंद नहीं आई, और उन्होंने फिल्म में अमिताभ को गूंगे का रोल दे दिया। अमिताभ बच्चन ने इस फिल्म में ‘चरणदास’ नामक किरदार निभाया था, जो गूंगा था और इसलिए पूरे फिल्म में उनका संवाद नहीं था।

यह फिल्म उस दौर में एक बड़ी मल्टीस्टारर थी, जिसमें वहीदा रहमान, राखी और सुनील दत्त जैसे बड़े सितारे शामिल थे। हालांकि, फिल्म बॉक्स ऑफिस पर कोई खास सफलता हासिल नहीं कर पाई, लेकिन यह किस्सा अमिताभ बच्चन के करियर की शुरुआती मुश्किलों को दर्शाता है।

आगे का सफर

अमिताभ बच्चन के लिए यह मुश्किल भरा दौर था, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। अपनी मेहनत और अभिनय के दम पर उन्होंने जल्द ही इंडस्ट्री में अपनी जगह बनाई। फिल्म ‘जंजीर’ (1973) से उनके करियर ने नई उड़ान भरी, और इसके बाद उनकी आवाज ने ही उन्हें पहचान दिलाई। धीरे-धीरे वही आवाज उनकी सबसे बड़ी ताकत बन गई, जिसे कभी नापसंद किया जाता था।

आज अमिताभ बच्चन की आवाज को भारतीय सिनेमा की सबसे प्रतिष्ठित आवाजों में गिना जाता है। उनके डायलॉग्स और फिल्मों के संवाद लोगों की जुबान पर चढ़ जाते हैं, और वे कई पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बने हुए हैं।

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