Chhath Puja : छठ पूजा में होता है ‘खरना’ का विशेष महत्व, कैसे की जाती है पूजा आइये जानते है

Chhath Puja : छठ पूजा में होता है ‘खरना’ का विशेष महत्व, कैसे की जाती है पूजा आइये जानते है

Chhath Puja : इस दिन व्रतधारी पूरे दिन निर्जला उपवास रखकर सूर्य देव को प्रसाद अर्पित करते हैं। खरना का प्रसाद मुख्यतः गन्ने के रस, गुड़, दूध और चावल से बनी खीर और गेहूं के आटे की रोटी होता है। इस प्रसाद को नए मिट्टी के बर्तनों में बनाना शुभ माना जाता है। इस वर्ष 8 नवंबर, 2024 को खरना की पूजा का समय शाम 5:30 बजे से 6:30 बजे तक है। इसके बाद व्रतधारी प्रसाद ग्रहण कर अगले 36 घंटे का निर्जला व्रत रखते हैं।

Chhath Puja : छठ पूजा हिंदू धर्म के महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है, जिसे सूर्य उपासना के लिए विशेष रूप से मनाया जाता है। यह चार दिनों का पर्व है जो कार्तिक शुक्ल चतुर्थी से लेकर सप्तमी तक चलता है। इस पर्व में श्रद्धालु व्रत रखते हैं और सूर्य देवता से परिवार की सुख-समृद्धि की कामना करते हैं। छठ पूजा का सबसे महत्वपूर्ण दिन ‘खरना’ माना जाता है। खरना के दिन व्रत करने वाले लोग पूरे दिन निर्जला उपवास रखते हैं और शाम को विशेष प्रसाद का सेवन करते हैं। इस वर्ष छठ पूजा का खरना 8 नवंबर, 2024 को मनाया जाएगा। आइए जानें इस दिन के महत्व, पूजा का समय और प्रसाद बनाने के नियम।

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छठ पूजा और खरना का महत्व

छठ पूजा के दौरान सूर्य देवता और छठी मइया की उपासना की जाती है। इस पर्व के चार दिनों में से प्रत्येक का विशेष महत्व होता है। पहले दिन नहाय-खाय से इसकी शुरुआत होती है, जिसमें श्रद्धालु गंगा नदी या किसी पवित्र जल स्रोत में स्नान कर शुद्धता का पालन करते हैं। दूसरे दिन ‘खरना’ का दिन होता है, जिसे छठ पर्व का मुख्य दिन माना जाता है। इस दिन भक्त उपवास रखते हैं और सूर्यास्त के समय विशेष रूप से तैयार किए गए प्रसाद का सेवन करते हैं। खरना के बाद व्रतधारी अगले 36 घंटों तक निर्जला व्रत रखते हैं, जिसमें वे बिना जल के रहकर सूर्य देव की आराधना करते हैं।

प्रसाद में किन चीजों का होता है उपयोग

खरना के प्रसाद का विशेष महत्व होता है और इसे बनाने के लिए शुद्धता का बहुत ध्यान रखा जाता है। पारंपरिक रूप से खरना का प्रसाद पूरी शुद्धता और सरलता से बनाया जाता है, जिसमें मुख्य रूप से गन्ने का रस, चावल, गुड़, और दूध का उपयोग होता है। प्रसाद में मुख्य रूप से ‘खीर’ और ‘रोटी’ बनाई जाती है। यह खीर गन्ने के रस और दूध से बनाई जाती है, जिसमें गुड़ का मीठा स्वाद होता है। इसके अलावा गेंहू के आटे से बिना नमक की रोटी भी प्रसाद के रूप में बनाई जाती है। इन सभी चीजों को नए मिट्टी के बर्तनों में बनाया जाता है, ताकि प्रसाद में पवित्रता बनी रहे।

पूजा का समय और विधि

खरना के दिन पूजा का समय सूर्यास्त के आस-पास होता है। इस वर्ष 8 नवंबर को खरना की पूजा का समय लगभग शाम 5:30 बजे से 6:30 बजे के बीच होगा। इस समय पर व्रतधारी सूर्य देव के सामने प्रसाद अर्पित करते हैं और फिर खुद प्रसाद का सेवन करते हैं। व्रतधारी दिनभर निर्जला रहकर यह प्रसाद ग्रहण करते हैं, और इसी के साथ अगले 36 घंटों का कठोर निर्जला उपवास शुरू होता है।

छठ पूजा के नियम और सावधानियां

खरना के दिन और इसके बाद के उपवास में श्रद्धालु पूर्ण श्रद्धा और पवित्रता का पालन करते हैं। प्रसाद बनाते समय सफाई और शुद्धता का विशेष ध्यान रखा जाता है, क्योंकि इस पर्व में पवित्रता का महत्व अत्यधिक माना गया है।

इस प्रकार, छठ पूजा का खरना न केवल सूर्य देव की आराधना का समय है, बल्कि इस दिन की पूजा और प्रसाद परिवार के स्वास्थ्य, समृद्धि और सुख-शांति की कामना के साथ जुड़ा हुआ है।

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