Indian Rupee : भारतीय रुपये में हुई गिरावट अमेरिकी डॉलर के मुकाबले नया ऐतिहासिक निचला स्तर 84.50

Indian Rupee : भारतीय रुपये में हुई गिरावट अमेरिकी डॉलर के मुकाबले नया ऐतिहासिक निचला स्तर 84.50

Indian Rupee : अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया 84.41 पर खुला और इंट्रा-डे के दौरान डॉलर के मुकाबले 84.51 के अब तक के सबसे निचले स्तर में हुआ।

Indian Rupee :भारतीय मुद्रा, रुपया, गुरुवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 8 पैसे टूटकर 84.50 के सर्वकालिक निचले स्तर पर बंद हुआ। विदेशी मुद्रा बाजार में रुपये की इस गिरावट को वैश्विक बाजार में डॉलर की मजबूती और विदेशी निवेशकों की बिकवाली का परिणाम माना जा रहा है। सत्र के अंत में डॉलर के मुकाबले रुपया 84.50 (अनंतिम) पर बंद हुआ।

प्रमुख कारण

रुपये में गिरावट का मुख्य कारण वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में अनिश्चितता और अमेरिकी डॉलर के लगातार मजबूत होने को माना जा रहा है। अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरें उच्च स्तर पर बनाए रखने की संभावना ने डॉलर की मांग को और बढ़ा दिया है। इसके अलावा, अंतरराष्ट्रीय तेल कीमतों में वृद्धि और भारत के चालू खाता घाटे पर इसका दबाव भी रुपये की कमजोरी का बड़ा कारण है।

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विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) द्वारा भारतीय बाजारों से धन निकासी का भी रुपये पर नकारात्मक असर पड़ा है। पिछले कुछ हफ्तों में FPI ने भारतीय शेयर और बॉन्ड बाजार से बड़ी मात्रा में पैसा निकाला है, जिससे रुपये पर अतिरिक्त दबाव बना है।

बाजार का प्रदर्शन

शुरुआती कारोबार में रुपये ने हल्की मजबूती के साथ 84.40 पर शुरुआत की थी, लेकिन डॉलर की मजबूत मांग और स्थानीय बाजार की कमजोर धारणा के कारण इसमें गिरावट दर्ज की गई। दिन के अंत में यह 84.50 पर बंद हुआ, जो अब तक का सबसे निचला स्तर है।

इस बीच, डॉलर इंडेक्स, जो छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की ताकत को मापता है, 105.20 के स्तर पर मजबूत बना हुआ है। इसके अलावा, कच्चे तेल की कीमतें 85 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर चल रही हैं, जिससे भारत जैसे तेल आयातक देश पर दबाव बढ़ा है।

विशेषज्ञों की राय

विदेशी मुद्रा विशेषज्ञों का कहना है कि अगर अमेरिकी फेडरल रिजर्व ब्याज दरों में वृद्धि जारी रखता है, तो रुपये पर और दबाव पड़ सकता है। वहीं, भारत सरकार और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के लिए यह चुनौतीपूर्ण समय है। RBI ने रुपये की अत्यधिक अस्थिरता को नियंत्रित करने के लिए कई बार बाजार में हस्तक्षेप किया है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय बाजार की मौजूदा परिस्थितियों में यह सीमित असर डाल रहा है।

आगे का रास्ता

विश्लेषकों का मानना है कि रुपये की स्थिरता के लिए RBI को सक्रिय भूमिका निभानी होगी। साथ ही, सरकार को चालू खाता घाटे और विदेशी निवेशकों का भरोसा बढ़ाने के लिए कदम उठाने होंगे।

अगर वैश्विक परिस्थितियां अनुकूल नहीं हुईं, तो निकट भविष्य में रुपये का और कमजोर होना संभव है। हालांकि, भारतीय अर्थव्यवस्था की बुनियादी मजबूती लंबे समय में स्थिरता लाने में मदद कर सकती है।

निवेशकों के लिए सलाह

मुद्रा बाजार में जारी अस्थिरता को देखते हुए विशेषज्ञ निवेशकों को सतर्क रहने और दीर्घकालिक रणनीतियों पर ध्यान केंद्रित करने की सलाह दे रहे हैं।

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