Indian Rupees : भारतीय रुपया अमेरिकी डॉलर की तुलना में सर्वकालिक निचले स्तर पर पहुंचा

Indian Rupees : भारतीय रुपया अमेरिकी डॉलर की तुलना में सर्वकालिक निचले स्तर पर पहुंचा

Indian Rupees : भारतीय रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले शुरुआती कारोबार में एक नए सर्वकालिक निचले स्तर 84.38 प्रति डॉलर पर पहुंच गया।

Indian Rupees : यह गिरावट भारत सहित वैश्विक बाजारों में चल रही अस्थिरता के बीच देखी जा रही है, जिसमें तेल की कीमतों में वृद्धि, विदेशी निवेशकों की बिकवाली और अमेरिकी डॉलर की मजबूती प्रमुख कारण माने जा रहे हैं। डॉलर की मजबूती के कारण भारतीय मुद्रा पर दबाव बढ़ा है और इससे विदेशी मुद्रा बाजार में भारतीय निवेशकों की चिंता भी बढ़ गई है।

हाल ही में, अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए ब्याज दरें बढ़ाई हैं, जिससे डॉलर में मजबूती आई है और निवेशक उच्च रिटर्न के लिए अमेरिकी संपत्तियों की ओर आकर्षित हो रहे हैं। इससे उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं के बाजारों में अस्थिरता देखी जा रही है, जिसमें भारतीय बाजार भी शामिल है। वैश्विक स्तर पर निवेशक सुरक्षित संपत्तियों में निवेश कर रहे हैं, और इसका असर भारतीय मुद्रा पर पड़ रहा है।

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अर्थशास्त्रियों के अनुसार, रुपया कमजोर होने का असर भारतीय अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों पर हो सकता है। सबसे अधिक प्रभाव आयात पर पड़ेगा, क्योंकि तेल और अन्य वस्तुओं का आयात महंगा हो जाएगा। इसके कारण पेट्रोल और डीजल की कीमतें भी बढ़ सकती हैं, जो कि देश में महंगाई को और बढ़ावा दे सकता है। इसके अलावा, विदेशी कर्ज के ब्याज भुगतान में वृद्धि होगी, जिससे भारतीय कंपनियों की लाभप्रदता पर भी असर पड़ सकता है।

हालांकि, निर्यातकों के लिए यह स्थिति अनुकूल हो सकती है क्योंकि कमजोर रुपया उनके उत्पादों को विदेशी बाजारों में प्रतिस्पर्धी बना सकता है। आईटी और फार्मास्यूटिकल्स जैसे क्षेत्रों में निर्यातकों को फायदा हो सकता है, लेकिन इस लाभ का व्यापक रूप से असर होगा या नहीं, यह वैश्विक आर्थिक स्थिति पर निर्भर करेगा।

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) भी रुपये की स्थिरता बनाए रखने के लिए हस्तक्षेप कर सकता है। आरबीआई ने पहले भी विदेशी मुद्रा भंडार से डॉलर की बिक्री करके मुद्रा की गिरावट को रोकने की कोशिश की है। हालांकि, आरबीआई का भंडार सीमित है, और ऐसे हस्तक्षेपों का दीर्घकालिक प्रभाव सीमित हो सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि आने वाले दिनों में रुपया और कमजोर हो सकता है यदि वैश्विक आर्थिक स्थितियां इसी तरह बनी रहती हैं।

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