विदेशी ज़मीन पर भारत का झण्डा लहराने वाले सैयद सलाहुद्दीन के सम्मान में हुआ नवआरम्भ का कवि सम्मेलन व मुशायरा

विदेशी ज़मीन पर भारत का झण्डा लहराने वाले सैयद सलाहुद्दीन के सम्मान में हुआ नवआरम्भ का कवि सम्मेलन व मुशायरा

लखनऊ। 22 अगस्त 2024 गुरुवार को लखनऊ के फ़ैज़ाबाद रोड पर स्थित होटल डायमंड में नवआरम्भ फाउंडेशन द्वारा एक कवि सम्मेलन व मुशायरे का आयोजन किया गया जो की दुबई में रहने वाले भारतीय मूल के ख्यातिलब्ध समाजसेवी व भारतीयता के झंडाबरदार सैयद सलाहुद्दीन के सम्मान में समर्पित रहा।

नवआरम्भ फाउंडेशन की संस्थापिका वंदना वर्मा “अनम ” ने बताया कि जो भी भारतीय विदेशों में अपने देश के संस्कार जीता है, भारतीयता को बनाये रखता है वो सम्मान का पात्र है उससे पीढ़ियों को सीख लेनी चाहिए की आधुनिकता की अंधी दौड़ में भी परंपराओं को कैसे जीवित रखा जा सकता है।

आदरणीय सैयद सलाहुद्दीन जी UAE दुबई में रहते हुए भारतीय संस्कारों और साहित्य को संरक्षण देने का काम तो कर ही रहे हैं साथ ही अपनी राष्ट्रीयता का परचम लहरा कर दुनिया में एक प्रतिमान स्थापित किया है। सैयद सलाहुद्दीन लगभग तीन दशकों से प्रतिवर्ष भारतीय राष्ट्रीयता पर्व गणतंत्र दिवस पर दुबई में अंतर्राष्ट्रीय कवि सम्मेलन व मुशायरे का आयोजन करते हैं जिसमें भारत से कवियों / शायरों को महान मंच तो देते ही हैं साथ ही प्रवासियों के भावनाओं को प्रस्फुटित होने का एक अवसर भी प्रदान करते हैं। आज हम इन्हें सम्मानित कर के गौरवान्वित हुए हैं।

कार्यक्रम के प्रारंभ में संस्था द्वारा आगंतुकों स्मृति चिन्ह् व पुष्प गुच्छ भेंट कर सत्कार किया गया तत्पश्चात अतिथियों के साथ वंदना वर्मा “अनम” जी ने सैयद सलाहुद्दीन का विशेष सम्मान किया। उक्त अवसर पर आमंत्रित कवियों/शायरों ने अपना काव्यपाठ किया जिसमें सर्वश्री . ..श्री वासिफ़ फ़ारूक़ी (सदर साहब), श्री मलिकज़ादा जावेद (मेहमान ए अज़ाज़ी) श्री पपलू लखनवी, श्री मोइद रहबर (मेहमान ए अज़ाज़ी), श्री अली अल्वी, श्री मैकश आज़मी, डॉ. प्रशांत सिंह (कवि), श्री धर्मराज उपाध्याय (कवि), श्री आशुतोष आशू (कवि), श्री दर्द फ़ैज़ खान, श्री सत्यम रौशन, डॉ. मानसी द्विवेदी (कवियत्री), श्रीमती नाज़िया जाफ़री, श्रीमती शशि श्रेया (कवियत्री), अलीशा मेराज, श्री आसिम काकोरवी, श्री सुभाष यादव, श्री प्रभात सिंह, आदि प्रमुख रहें।

आगंतुकों विशिष्ट अतिथियों में श्री एस.रिज़वान (लखनऊ) (नवआरम्भ फाउंडेशन, संरक्षक, सरपरस्त) पूर्व सचिव उर्दू अकादमी उत्तर प्रदेश, श्री सैयद बिलाल नूरानी। (लखनऊ) संयुक्त सचिव अंजुमन इस्लाहुल मुस्लेमीन, श्री नदीम अख्तर (बुलंदशहर) नेता, उर्दू अकादमी, उत्तर प्रदेश के सदस्य (नवआरंभ फाउंडेशन के अध्यक्ष) श्री सरफराज अली (नोएडा)। नेता, सदस्य, हज कमेटी, उत्तर प्रदेश (नवआरम्भ फाउंडेशन के उपाध्यक्ष) श्री मखदूम फूलपुरी (प्रयागराज), राष्ट्रीय कवि (नवआरम्भ फाउंडेशन कोषाध्यक्ष ), श्री दमदार बनारसी (वाराणसी), अंतर्राष्ट्रीय कवि, वामिक खान, आयोजन स्थल प्रायोजक, 8- श्री जावेद खान लखनऊ गजल गायक- श्री मिथलेश कुमार लखनऊ अतिथि-। 1- श्री आफताब कुरेशी 2- श्री सरफराज जाहिद वरिष्ठ पत्रकार,सामाजिक कार्यकर्ता, 3- श्री अशरफ खान सामाजिक कार्यकर्ता बिल्डर 4- श्री अजीज अहमद सिद्दीकी राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रिंट मीडिया। 5- श्री पी.आर.चौहान पूर्व डी.जी दूरदर्शन
आदि की उपस्थिति रही। कार्यक्रम का सफल संचालन श्री.आसिम काकोरवी ने तथा धन्यवाद ज्ञापन श्री….एस रिज़वान ji ने किया।

कार्यक्रम के दौरान कवियों के काव्यपाठ का अंश –
खून का घूंट कभी ज़हर पिया है मैंने
ज़िंदगी तुझको बहरहाल जिया है मैंने
मुईद रहबर लखनवी

ह्रदय की वेदनाओं को सदा सबसे छुपाता हूं।
नयन रहते सदा बोझिल मगर मैं मुस्कुराता हूं।
मिली जो चोट जीवन में उसी को ढाल शब्दों में,
हमेशा गीत अधरों पर मैं लाकर गुनगुनाता हूं। आशुतोष ‘आशु’
न तो ये हिन्दुवानी है न ही ये मुसलमानी है
मगर ईमान सच कहता हूँ मेरा ख़ानदानी है
बराबर हैं मेरी नज़रों में अश्फ़ाक और बिस्मिल
हर इक क़तरा लहू का मेरे बस हिन्दोस्तानी है
धर्मराज कवि शायर

ना कहकहे ही मिल सके न चीख मिल सकी
ठोकर बिना ना ज़िन्दगी में सीख मिल सकी
कांसा लिये मैं हाथ में फिरता रहा मगर
चाहत मिली न चाहतों की भीख मिल सकी
डॉ प्रशान्त सिंह

ये छत पे मिरी चांद का साया है के तुम हो
सपनों में कोई मेनका रम्भा है के तुम हो

क्या ख़ूब हवाओं ने बनाया है तमाशा
दरवाज़ा यही सोच के खोला है के तुम हो (सत्यम रौशन)

शयन रत मन जगाना आ गया है।
विजय का पथ बनाना आ गया है।
हवा के रूख़ की अब चिंता नही है,
मुझे दीपक जलाना आ गया है।।
(शशि श्रेया)

यूँ कमसिनी में संभाली है शायरी मैंने
कि जैसे जी है जवानी की ज़िंदगी मैंने

ग़ज़ल की फिक्र को ख़ून ए जिगर दिया अपना
कभी रखी नहीं बुनियाद खोखली मैंने

(दर्द फैज़ ख़ान)

“कोई चेहरा बदल नहीं सकता
घर में इक आइना पुराना है
मलिकजादा जावेद

शहर के जाने-माने गायक श्री मिथलेश लखनवी ने अपने ग़ज़लों और गीतों से समा बांध दिया शुरुआत उन्होंने पद्मश्री अनवर जलालपुरी द्वारा रचित उर्दू शायरी में गीता को गाकर किया उसके बाद राहत इंदौरी की ग़ज़ल “लोग हर मोड़ पर रुक-रुक कर संभलते क्यों हैं इतना डरते हैं तो घर से निकलते क्यों हैं,. कार्यक्रम की संयोजिका और मशहूर शायरा वंदना वर्मा अनम की ग़ज़ल ” पलकें नाजुक़ हैं बहुत ख़्वाब में आया न करो ” को बेहतरीन अंदाज में प्रस्तुत किया।

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