Adult content on OTT : OTT पर एडल्ट कॉन्टेंट रोकने की याचिका पर केंद्र से मांगा जवाब, नीति बनाने पर विचार

Adult content on OTT : OTT पर एडल्ट कॉन्टेंट रोकने की याचिका पर केंद्र से मांगा जवाब, नीति बनाने पर विचार

Adult content on OTT : सुप्रीम कोर्ट ने OTT पर एडल्ट कंटेंट रोकने की याचिका पर टिप्पणी की। जस्टिस बीआर गवई ने कहा, “यह नीति से जुड़ा मामला है, इसे सरकार को देखना चाहिए।” कोर्ट ने साफ किया कि वह इस मसले में दखल नहीं दे सकता। याचिकाकर्ता ने कंटेंट नियंत्रण की नीति बनाने की मांग की थी।

Adult content on OTT : सुप्रीम कोर्ट ने OTT प्लेटफॉर्म्स पर एडल्ट कॉन्टेंट रोकने और नीति बनाने की मांग वाली याचिका पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा है। कोर्ट ने कहा कि इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार जरूरी है। याचिकाकर्ता ने मांग की थी कि डिजिटल कंटेंट के लिए सख्त गाइडलाइंस बनाई जाएं ताकि अश्लीलता पर रोक लगाई जा सके।

OTT पर एडल्ट कंटेंट रोकने की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी, नीति बनाने को कहा सरकार का काम

सुप्रीम कोर्ट ने OTT पर एडल्ट कंटेंट रोकने की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि यह पॉलिसी से जुड़ा मामला है, जिसमें हस्तक्षेप करना कोर्ट का काम नहीं। जस्टिस बीआर गवई ने कहा, “हम पर आलोचना होती है कि सुप्रीम कोर्ट विधायिका और कार्यपालिका के क्षेत्र में दखल दे रहा है।” हालांकि कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा कि वह याचिका की कॉपी प्रतिवादी पक्ष को दे, फिर इस पर सुनवाई की जाएगी। जस्टिस गवई ने सुबह भी इसी तरह की टिप्पणी पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन की मांग पर की थी।

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OTT पर एडल्ट कॉन्टेंट को लेकर सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी, कहा- ये सरकार का मामला है

इन दिनों OTT प्लेटफॉर्मों पर एडल्ट कॉन्टेंट परोसने की होड़ मची है। कई ऐप्स खुलेआम ऐसे कंटेंट दिखा रहे हैं, जिनमें सगे-संबंधियों के बीच एडल्टरी और अश्लील दृश्य शामिल होते हैं। इस पर कई लोगों ने आपत्ति जताई है, उनका कहना है कि यह बच्चों और युवाओं पर नकारात्मक असर डाल रहा है। इस मसले पर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई, जिसमें कंटेंट पर रोक लगाने और नीति बनाने की मांग की गई। कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि यह पॉलिसी से जुड़ा मामला है और इसमें हस्तक्षेप करना सरकार का कार्य है, न कि न्यायपालिका का। कोर्ट ने याचिकाकर्ता को निर्देश दिया कि वह याचिका की प्रति दूसरे पक्ष को सौंपे, इसके बाद सुनवाई की जाएगी। यह मुद्दा पहली बार नहीं उठा है, लेकिन अब एक बार फिर चर्चा में आ गया है। अब नजरें सरकार के फैसले पर हैं।

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