Sheikh Hasina : उस दिन मौत मेरे से 20 मिनट ही…’, शेख हसीना ने 2004 हमले की दर्दनाक यादें साझा की

Sheikh Hasina : उस दिन मौत मेरे से 20 मिनट ही…’, शेख हसीना ने 2004 हमले की दर्दनाक यादें साझा की

Sheikh Hasina : बांग्लादेश की पूर्व पीएम शेख हसीना ने 2004 के हमले को याद करते हुए कहा कि वह महज 20 मिनट की दूरी पर मौत से बची थीं। हमले में उनकी आंखों पर गंभीर चोट आई, लेकिन उन्होंने संघर्ष जारी रखा। हसीना ने अपने जीवन और लोकतंत्र के लिए संघर्ष की अहमियत पर भी बात की।

Sheikh Hasina :बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने हाल ही में अपनी जिंदगी के उस डरावने दिन को याद किया जब वे महज 20 मिनट से मौत के मुँह से लौट आई थीं। यह घटना 21 अगस्त 2004 की है, जब एक घातक आतंकवादी हमला हुआ था, जिसमें शेख हसीना और उनके कई सीनियर नेता बुरी तरह से घायल हो गए थे। इस हमले में कई निर्दोष लोगों की जान भी गई थी। शेख हसीना ने अपने दर्द को साझा करते हुए बताया कि किस तरह उस दिन मौत उनके बेहद करीब थी और किस प्रकार उन्होंने खुद को बचाने के लिए संघर्ष किया।

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2004 का हमला और शेख हसीना की यादें

2004 में बांग्लादेश के ढाका में बांग्लादेश अवामी लीग (AL) पार्टी द्वारा एक रैली का आयोजन किया गया था। इस रैली में शेख हसीना भी शामिल हो रही थीं। रैली के दौरान, अचानक उन पर बम से हमला किया गया। यह हमला बहुत खतरनाक था और इसमें कई लोग मारे गए। शेख हसीना भी इस हमले के दौरान गंभीर रूप से घायल हुईं, लेकिन किसी तरह वे बाल-बाल बच गईं। हसीना ने खुद कहा, “वह हमला मेरे लिए एक जीवन और मृत्यु का मामला था, और मैं महज 20 मिनट के अंतराल से मौत से बची।”

हसीना ने उस दिन की अपनी यादों को ताजा करते हुए कहा, “जब बम धमाके हुए, तो मैं एकदम से जमीन पर गिर गई। कई साथी भी घायल हो गए थे, और मुझे यह एहसास हुआ कि मेरे पास केवल कुछ ही मिनटों का समय था। उस क्षण में मैं मौत के बहुत करीब थी, लेकिन मुझे एक अजीब सा साहस और ताकत महसूस हुआ। मुझे यह महसूस हुआ कि मेरे ऊपर एक जिम्मेदारी है, और मैं इसे निभाने के लिए जिंदा रहना चाहती हूं।”

हमले के बाद का संघर्ष

हसीना ने कहा कि इस हमले के बाद उनकी मानसिक स्थिति और शारीरिक चोटों का इलाज करना बहुत मुश्किल था। इस हमले में उनकी आँखों पर गंभीर चोटें आईं और उन्हें महीनों तक इलाज की जरूरत पड़ी। शेख हसीना ने अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं और समर्थकों की भी तारीफ की, जिन्होंने इस कठिन समय में उनका साथ दिया और उनके लिए न्याय की लड़ाई लड़ी।

इस हमले के बाद, हसीना ने बांग्लादेश में लोकतंत्र और अपने लोगों के लिए संघर्ष जारी रखने का संकल्प लिया। उन्होंने कहा, “मैं जानती थी कि मुझे अपनी जान बचाने के लिए कुछ करना होगा, और मुझे अपनी पार्टी और लोगों के लिए काम करना था।” इस हमले के बाद शेख हसीना और उनकी पार्टी ने राजनीतिक स्थिति को लेकर कई महत्वपूर्ण बदलाव किए और लोकतांत्रिक संस्थाओं की रक्षा के लिए संघर्ष किया।

न्याय की उम्मीद और सरकार की भूमिका

हालांकि इस हमले के मुख्य आरोपी अब तक पकड़े नहीं गए हैं, हसीना ने कहा कि वे न्याय के लिए अपनी पूरी ताकत से संघर्ष करेंगी। बांग्लादेश की वर्तमान सरकार के प्रति शेख हसीना का विश्वास भी इस मामले में मजबूत है। उनका कहना है, “हमले के दोषियों को सजा मिलनी चाहिए, और यह सुनिश्चित करने के लिए हमें कोई कसर नहीं छोड़नी चाहिए।” शेख हसीना ने अपनी जान की कीमत पर भी इस देश के लिए संघर्ष जारी रखने की ठानी है।

निष्कर्ष

शेख हसीना का यह बयान उनके साहस और दृढ़ संकल्प को दर्शाता है। इस हमले ने उन्हें शारीरिक रूप से घायल किया, लेकिन मानसिक रूप से और भी मजबूत बना दिया। यह घटना न केवल उनके जीवन का एक दुखद मोड़ थी, बल्कि बांग्लादेश के लोकतंत्र और स्वतंत्रता के लिए भी एक संघर्ष का प्रतीक बन गई। शेख हसीना ने इसे एक व्यक्तिगत त्रासदी से कहीं अधिक, अपने देश और लोगों के लिए एक बड़ी लड़ाई के रूप में देखा।

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