1975 से चली आ रही परंपरा, दादा मियां की दरगाह पर हुआ भव्य रोजा इफ्तार आयोजन

1975 से चली आ रही परंपरा, दादा मियां की दरगाह पर हुआ भव्य रोजा इफ्तार आयोजन

रविदास मेहरोत्रा (Ravidas Mehrotra) ने दादा मियां दरगाह पर रोजा इफ्तार के बाद अदा की जमात के साथ नमाज़, दिया साम्प्रदायिक सौहार्द का संदेश

लखनऊ। मॉल एवेन्यू: ऐतिहासिक दादा मियां दरगाह (Hazrat Khwaja Mohammad Nabi Raza Shah Almaroof Dada Miyan Dargah) पर भव्य रोजा इफ्तार (Roza Iftar) कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के वरिष्ठ नेता, धार्मिक गुरु और प्रतिष्ठित हस्तियों ने शिरकत की।

इस कार्यक्रम में लखनऊ मध्य से समाजवादी पार्टी के विधायक एवं पूर्व मंत्री रविदास मेहरोत्रा (Ravidas Mehrotra), टीले वाली मस्जिद (Tile Wali Masjid) के शाही इमाम मौलाना फजलुल मन्नान, शहर काजी मौलाना अबुल इरफान फिरंगी महली समेत कई बड़े धार्मिक और राजनीतिक हस्तियां उपस्थित रहीं। इस कार्यक्रम में सभी धर्मों के लोगों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया, जिससे गंगा-जमुनी तहजीब (Ganga-Jamuni Tehzeeb) और साम्प्रदायिक सौहार्द का संदेश प्रसारित हुआ।

रविदास मेहरोत्रा ने इफ्तार के बाद अदा की जमात के साथ नमाज़

इफ्तार के बाद समाजवादी पार्टी के विधायक एवं पूर्व मंत्री रविदास मेहरोत्रा (Ravidas Mehrotra) ने जमात के साथ नमाज़ अदा की। यह दृश्य आपसी भाईचारे और धार्मिक सद्भाव का अद्भुत उदाहरण बना। उपस्थित लोगों ने इस क्षण को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि यह आयोजन सच्चे सामाजिक सौहार्द और एकता को दर्शाता है।

दादा मियां दरगाह – एकता और भाईचारे का प्रतीक

Hazrat Khwaja Mohammad Nabi Raza Shah Almaroof Dada Miyan

इफ्तार के दौरान समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता रविदास मेहरोत्रा ने कहा, “दादा मियां दरगाह हमेशा से हिंदू-मुस्लिम एकता (Hindu-Muslim Unity) और आपसी सौहार्द का प्रतीक रही है। हर वर्ष यहां आयोजित होने वाले इफ्तार (Iftar) में विभिन्न धर्मों के लोग सम्मिलित होकर आपसी प्रेम और भाईचारे की मिसाल पेश करते हैं।” उन्होंने इस आयोजन को सांस्कृतिक समरसता का बेहतरीन उदाहरण बताया।

1975 से सतत चली आ रही परंपरा

इफ्तार कार्यक्रम के आयोजक फरहत मियां ने बताया कि “दादा मियां दरगाह पर 1975 से निरंतर इफ्तार कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है।” उन्होंने बताया कि इसी परंपरा के चलते बाद में गवर्नर हाउस और मुख्यमंत्री आवास में भी इफ्तार पार्टियों का आयोजन होने लगा।

उन्होंने कहा, “हमारा देश सूफी संतों (Sufi Saints) की परंपरा पर आधारित है, और आज भी यह परंपरा लोगों के बीच प्रेम, शांति और आपसी सौहार्द (Peace, Harmony, and Unity) का संदेश देती है। इफ्तार केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि सामाजिक एकता को सुदृढ़ करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम भी है।”

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इस अवसर पर देश की सलामती, शांति और आपसी भाईचारे की विशेष दुआएं की गईं। बड़ी संख्या में रोजेदारों ने इफ्तार कर सामूहिक सौहार्द का संदेश दिया। दादा मियां दरगाह ने एक बार फिर सिद्ध कर दिया कि यह केवल इबादतगाह ही नहीं, बल्कि गंगा-जमुनी तहजीब और धार्मिक सौहार्द का एक अनुपम प्रतीक है।

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