Latest News : गाज़ा से लौटकर कर रहे है इजरायली सैनिक

Latest News : गाज़ा से लौटकर कर रहे है इजरायली सैनिक

Latest News : हाल के वर्षों में गाज़ा पट्टी से लौटने वाले इजरायली सैनिकों में आत्महत्या के मामले बढ़ते जा रहे हैं। गाज़ा में संघर्ष की कठिन परिस्थितियों, लगातार हिंसा और मानवाधिकारों की समस्याओं का सामना करने के बाद, इन सैनिकों की मानसिक स्थिति गंभीर रूप से प्रभावित हो रही है।

Latest News : विशेषज्ञ मानते हैं कि युद्ध से लौटने के बाद इजरायली सैनिकों में पोस्ट-ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (PTSD) जैसी मानसिक समस्याएं अत्यधिक बढ़ रही हैं, जो कि मानसिक स्वास्थ्य संकट का एक मुख्य कारण है। गाज़ा में संघर्ष ने कई सैनिकों को मानसिक रूप से कमजोर बना दिया है। उनकी जीवनशैली पर इसका असर पड़ता है, जिसके परिणामस्वरूप कई सैनिक समाज से कट जाते हैं। वे परिवार और दोस्तों से दूरी बनाते हैं और मानसिक दबाव के कारण अपनी परेशानियों का सामना करने में असमर्थ हो जाते हैं। इन सैनिकों के मन में अक्सर गहरा दुःख, अपराधबोध, और निराशा उत्पन्न होती है, जो आत्महत्या की ओर ले जाती है।

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इजरायली सेना और सरकार ने इस गंभीर मुद्दे का सामना करने के लिए कई कदम उठाए हैं। हाल ही में मानसिक स्वास्थ्य सहायता कार्यक्रमों में सुधार किया गया है और सैनिकों को संघर्ष के बाद भी पूरी तरह से मानसिक स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि अभी भी बहुत से सैनिक इन सेवाओं का लाभ उठाने में असमर्थ हैं, क्योंकि समाज में मानसिक स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता की कमी है और मानसिक समस्याओं को एक तरह की कमजोरी माना जाता है।

सैनिकों और उनके परिवारों का समर्थन करने के लिए गैर-सरकारी संगठन भी सामने आए हैं। इन संगठनों का उद्देश्य है कि सैनिकों को एक सुरक्षित माहौल प्रदान किया जाए, जहाँ वे अपनी मानसिक समस्याओं को खुलकर व्यक्त कर सकें। विभिन्न सहायता समूह और हेल्पलाइन नंबर भी बनाए गए हैं ताकि सैनिक मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे अपने साथियों तक पहुंच सकें।

गाज़ा से लौटने वाले सैनिकों की बढ़ती आत्महत्या की घटनाओं को रोकने के लिए इजरायल को सामूहिक रूप से काम करने की आवश्यकता है। मानसिक स्वास्थ्य को एक आवश्यक सेवा के रूप में अपनाने के लिए समाज में जागरूकता बढ़ानी होगी। सैनिकों को संघर्ष से गुजरने के बाद भी समाज का एक महत्वपूर्ण हिस्सा मानना चाहिए ताकि वे मानसिक और सामाजिक तौर पर स्वस्थ रह सकें।

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