Uttarakhand : “नवरात्रि में इस मंदिर में दिन में 3 बार बदलता है देवी का रूप, भक्तों की उमड़ी भीड़”

Uttarakhand : “नवरात्रि में इस मंदिर में दिन में 3 बार बदलता है देवी का रूप, भक्तों की उमड़ी भीड़”

Uttarakhand : इस मंदिर को उत्तराखंड की रक्षक देवी का मंदिर माना जाता है, और यहां देवी माता के सिर की पूजा की जाती है। नवरात्रि के दौरान यहां भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है।

Uttarakhand :उत्तराखंड के धारी देवी मंदिर में नवरात्रि के दौरान भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। यह मंदिर देवी के अद्भुत रूप के लिए प्रसिद्ध है, जहां मान्यता है कि देवी दिन में तीन बार अपना रूप बदलती हैं। इसके इतिहास में आस्था और रहस्य दोनों की मिलीजुली धारा है, जो श्रद्धालुओं को आकर्षित करती है।

उत्तराखंड की रक्षक देवी की आस्था का केंद्र

उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले के श्रीनगर में स्थित धारी देवी मंदिर एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है, जो अलकनंदा नदी के किनारे पर स्थित है। यह मंदिर चारधाम यात्रा मार्ग पर पड़ता है और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यह स्थल द्वापर युग से जुड़ा हुआ है। कहा जाता है कि देवी की मूर्ति पहले धारो गांव के पास स्थित थी, लेकिन एक भयंकर बाढ़ में मूर्ति बहकर एक चट्टान पर जा पहुंची। इसके बाद एक दिव्य वाणी हुई, जिसमें देवी की मूर्ति को वहां स्थापित करने का निर्देश दिया गया। इसके बाद से यहां देवी की पूजा आरंभ हुई और यह स्थान शक्तिपीठ के रूप में प्रसिद्ध हुआ।

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धारी देवी मंदिर न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि यहां आने वाले श्रद्धालुओं को शक्ति और सुरक्षा का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस मंदिर की आस्था और मान्यता आज भी हजारों भक्तों को आकर्षित करती है।

धारी देवी में रोज होता है यह चमत्कार: देवी की प्रतिमा बदलती है रूप

उत्तराखंड के प्रसिद्ध धारी देवी मंदिर में एक अद्भुत चमत्कार प्रतिदिन घटित होता है। यहां देवी की प्रतिमा दिन में तीन बार अपना रूप बदलती है। सुबह के समय देवी कन्या के रूप में, दोपहर में युवती के रूप में और शाम को वृद्ध महिला के रूप में भक्तों के दर्शन करती हैं। यह चमत्कार मंदिर में हर रोज होता है और श्रद्धालु इसे देखकर अचंभित हो जाते हैं।

धारी देवी मंदिर के इस चमत्कार को देखने के लिए भक्त सुबह से लेकर शाम तक मंदिर में रुकते हैं। यह रूप परिवर्तन भक्तों के लिए श्रद्धा और आस्था का प्रतीक बन चुका है। मंदिर में हर दिन हजारों लोग इस अद्भुत दृश्य का साक्षात्कार करने आते हैं, जिससे धारी देवी मंदिर की आस्था और मान्यता और भी मजबूत होती जा रही है।

मूर्ति को हटाने से आयी थी बाढ़: स्थानीय लोगों का मानना

उत्तराखंड के स्थानीय लोग मानते हैं कि 2013 की भीषण बाढ़ का कारण धारी देवी मां की मूर्ति का विस्थापन था। 16 जून 2013 को जब मूर्ति को उसके पूर्व स्थान से हटाया गया, उसी शाम को उत्तराखंड में विनाशकारी बाढ़ आई थी, जिसमें हजारों लोगों की जान चली गई। स्थानीय विश्वास के अनुसार, यह बाढ़ देवी माता के क्रोध के कारण आई थी।

धारी देवी और कालीमठ का संबंध: देवी काली के दो रूपों की पूजा

धारी देवी और कालीमठ दोनों ही देवी काली को समर्पित हैं। धारी देवी मंदिर में काली के सिर की पूजा की जाती है, जबकि कालीमठ में उनके धड़ की पूजा होती है। कालीमठ तंत्र विद्या का एक प्रमुख केंद्र माना जाता है, वहीं धारी देवी को चारधामों की संरक्षक देवी माना जाता है।

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