Rajasthani Language: राजस्थानी भाषा को भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में उठाया महत्वपूर्ण कदम

Rajasthani Language: राजस्थानी भाषा को भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में उठाया महत्वपूर्ण कदम

Rajasthani Language: राजस्थानी भाषा को संवैधानिक मान्यता मिलने वाली मांग अब पूरी होती दिखाई दे रही, क्योंकि इसके लिए राजस्थान सरकार के मुख्य ने भारत सरकार को पत्र लिखा है।

Rajasthani Language: राजस्थानी भाषा को संवैधानिक मान्यता मिलने वाली मांग अब पूरी होती दिखाई दे रही, क्योंकि इसके लिए राजस्थान सरकार के मुख्य ने भारत सरकार को पत्र लिखा है।राजस्थानी भाषा को भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। राजस्थान के मुख्य सचिव ने भारत सरकार को एक आधिकारिक पत्र लिखकर इस मुद्दे को गंभीरता से विचार करने की अपील की है। यह पहल राज्य में राजस्थानी भाषा के संरक्षण और प्रोत्साहन के लिए किए जा रहे प्रयासों का हिस्सा है।

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इतिहास और महत्व

राजस्थानी भाषा भारतीय संस्कृति और साहित्य की एक महत्वपूर्ण धरोहर है। यह भाषा न केवल राजस्थान में बल्कि गुजरात, हरियाणा, मध्य प्रदेश और पंजाब के कुछ हिस्सों में भी बोली जाती है। राजस्थानी साहित्य, लोकगीत और लोककथाएं इसे अद्वितीय बनाते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि राजस्थानी को संवैधानिक मान्यता मिलने से इसे संरक्षण और प्रचार-प्रसार में मदद मिलेगी।

राजस्थान सरकार की पहल

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पहले भी राजस्थानी भाषा के संवैधानिक मान्यता की मांग उठाई थी। राज्य सरकार ने कई बार केंद्र सरकार को इस विषय पर पत्र लिखे और राज्य स्तर पर भी इसे बढ़ावा देने के लिए विभिन्न योजनाएं लागू की हैं। अब, मुख्य सचिव द्वारा लिखे गए इस पत्र को सरकार की प्रतिबद्धता का प्रतीक माना जा रहा है।

संवैधानिक मान्यता का महत्व

अगर राजस्थानी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किया जाता है, तो यह भाषा सरकारी परीक्षाओं, शिक्षण संस्थानों और सरकारी दस्तावेजों में उपयोग के लिए मान्य हो जाएगी। इससे भाषा को संरक्षित करने के साथ-साथ इसे भविष्य की पीढ़ियों तक पहुंचाने में मदद मिलेगी।

भाषाविदों और जनता की मांग

राजस्थान के साहित्यकार, शिक्षाविद और भाषा प्रेमी लंबे समय से राजस्थानी भाषा को मान्यता दिलाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। कई संगठनों और संस्थाओं ने इस संबंध में केंद्र सरकार के समक्ष अपनी मांगें रखी हैं। वे मानते हैं कि यह कदम राजस्थानी संस्कृति और इतिहास को संरक्षित करने की दिशा में महत्वपूर्ण होगा।

चुनौतियां और आगे की राह

हालांकि, यह प्रक्रिया इतनी सरल नहीं होगी। केंद्र सरकार को इसके लिए सभी पक्षों का विचार करना होगा और आवश्यक संशोधन करने होंगे। फिर भी, मुख्य सचिव द्वारा लिखे गए पत्र को इस दिशा में एक सकारात्मक कदम माना जा रहा है।

उम्मीदें और संभावनाएं

राजस्थानी भाषा को मान्यता मिलने से राज्य के लोगों में उत्साह है। यह कदम न केवल भाषा के विकास में मदद करेगा, बल्कि इसे वैश्विक मंच पर भी पहचान दिलाएगा। अब, सभी की निगाहें केंद्र सरकार पर टिकी हैं कि वह इस मुद्दे पर क्या फैसला लेती है।

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