Bangladesh News : जमात-ए-इस्लामी जो हिंदुओं पर साधती रही निशाना, बांग्लादेश में हाल बेहाल

Bangladesh News : जमात-ए-इस्लामी जो हिंदुओं पर साधती रही निशाना, बांग्लादेश में हाल बेहाल

Bangladesh News : शेख हसीना ने अभी हाल ही में एक कट्टरपंथी पार्टी पर रोक लगा दी थी। जिसका खामियाज़ा पूरा बांग्‍लादेश भुगत रहा है इसी के चलते शेख हसीना भारत आ गयी । शेख हसीना द्वारा अपने आधिपत्य से हटने के बाद , बांग्‍लादेश में बनने वाली नई सरकार में अब जमात-ए-इस्‍लामी की भी महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है।

Bangladesh News : बांग्‍लादेश में कट्टरपंथी पार्टी जमात-ए-इस्लामी अपने उद्देश्य में सफल रही।जमात-ए-इस्लामी और इसकी स्‍टूडेंट विंग इस्लामी छात्र शिबिर ने विरोध प्रदर्शन को हिंसा करने में सफल रही। जिसके चलते प्रधानमंत्री शेख हसीना को हिंसक विरोध प्रदर्शन होने की वजह से अपना साम्राज्य से हाथ धोना पड़ा। साथ ही साथ उन्हें अचानक से देश छोड़कर कर जाना होगा, बांग्‍लादेश में तबाही के साथ साथ बुरे हालात को देखते हुए शेख हसीना अपना को देश छोड़ना आसान नहीं है लेकिन पारिवारिक दबाव की वजह से उन्‍हें ये निर्णय लेना पड़ा। बांग्‍लादेश के हालात का सीधा ज़िम्मेदार जमात-ए-इस्लामी पार्टी को जाता है।

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जमात-ए-इस्लामी (Jamaat-e-Islami) पार्टी का इतिहास

शेख हसीना सरकार ने कुछ दिनों पहले आतंकवाद रोधी कानून के तहत जमात-ए-इस्लामी और इसकी स्‍टूडेंट विंग इस्लामी छात्र शिबिर पर रोक लगा दी थी। जिसकी वजह से छात्रों का यह प्रदर्शन ज्‍यादा हिंसक वाला हो गया और बाद में शेख हसीना को प्रधानमंत्री पद से त्यागपत्र देना पड़ा। पाकिस्‍तान से बांग्‍लादेश के आजाद होने का जमात-ए-इस्लामी शुरु से विरोध में रही है. इन्‍होंने 1971 में मुक्ति संग्राम के दौरान पाकिस्तानी सैनिकों का पक्ष भी लिया था। बांग्‍लादेश सरकार ने जमात-ए-इस्लामी की 1971 में भूमिका को पार्टी पर रोक लगाने के चार कारणों में से एक बताया था। इसके बाद से बांग्‍लादेश में आरक्षण के मुद्दे पर शुरू हुआ आंदोलन हिंसक हो गया था।

जमात-ए-इस्लामी (Jamaat-e-Islami) का इतिहास

जमात-ए-इस्लामी बांग्लादेश की कट्टरपंथी पार्टी है, जो हमेशा चाहती थी कि पाकिस्‍तान से बांग्‍लादेश कभी स्वतंत्र न हो। बांग्‍लादेश की पहली मुजीबुर्रहमान सरकार के दौरान ही जमात-ए-इस्लामी पर प्रतिबंध लगना शुरू हो गया था। पार्टी पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया ने इसका साथ दिया। जिसके चलते बांग्‍लादेश की नई सरकार में जमात-ए-इस्‍लामी आ सकती है। जमात-ए-इस्लामी का सम्बन्ध भारत से भी जुड़ा है। जुड़ी पार्टी की स्थापना 1941 में ब्रिटिश शासन के तहत अविभाजित भारत में हुई थी। जमात-ए-इस्‍लामी की देश विरोधी गतिविधियों को देखते हुए बांग्‍लादेश के चुनाव आयोग ने इसका पंजीकरण रद्द कर दिया था। इसके बाद से ही जमात-ए-इस्‍लामी पार्टी ने शेख हसीना सरकार का विरोध करना शुरू कर दिया था।

हिन्दुओ को बनाया अपना टारगेट जमात-ए-इस्लामी (Jamaat-e-Islami)

जमात-ए-इस्लामी एक कट्टरपंथी पार्टी है और इसके निशाने पर हमेशा बांग्‍लादेश में रहने वाले हिंदू थे। हिंदुओं के विरुद्ध हिंसा को लेकर जमात-ए-इस्लामी के कई नेताओं के खिलाफ मुकदमा भी है। मानवाधिकार संस्था एमनेस्टी इंटरनेशनल की एक रिपोर्ट भी इस बात का समर्थन करती है।इस रिपोर्ट ने बताया गया है कि जमात-ए-इस्लामी और छात्र शिबिर लगातार बांग्लादेश में हिन्दुओं को निशाना बनाते रहे हैं। बांग्लादेश के गैर सरकारी संगठनों के अनुमान के अनुसार, साल 2013 से 2022 तक बांग्लादेश में हिन्दुओं पर 3600 से ज्‍यादा हमले हुए हैं। इन ज्‍यादातर हमलों में जमात-ए-इस्लामी का अहम भूमिका रही है।

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