One Nation One Election : ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ को कैबिनेट से मिली हरी झंडी

One Nation One Election : ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ को कैबिनेट से मिली हरी झंडी

One Nation One Election : भारत की कैबिनेट ने ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ योजना को मंजूरी दे दी है, जिसके तहत देशभर में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराए जाएंगे। गृहमंत्री अमित शाह ने सरकार के 100 दिन पूरे होने पर इस योजना के संकेत दिए थे।

One Nation One Election : भारत में लंबे समय से बहस का विषय बने ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ (एक देश एक चुनाव) को आखिरकार कैबिनेट की मंजूरी मिल गई है। यह फैसला भारतीय राजनीति में एक ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है, जिसके तहत देशभर में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराए जाएंगे। सरकार का मानना है कि इससे चुनावों में लगने वाला खर्च कम होगा और प्रशासनिक प्रक्रिया में भी तेजी आएगी। इस योजना के बारे में पहली बार चर्चा तब शुरू हुई जब गृहमंत्री अमित शाह ने 2024 में मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल के 100 दिन पूरे होने पर इसके संकेत दिए थे।

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क्या है ‘वन नेशन वन इलेक्शन’?

‘वन नेशन वन इलेक्शन’ का मतलब है कि देशभर में सभी विधानसभा और लोकसभा चुनाव एक साथ कराए जाएं। वर्तमान में भारत में विभिन्न राज्यों के चुनाव अलग-अलग समय पर होते हैं, जिससे चुनावी प्रक्रिया में काफी समय और संसाधन लगते हैं। इस नई योजना के तहत, सरकार का उद्देश्य है कि एक साथ चुनाव कराकर संसाधनों की बचत हो और जनता के समय की भी सुरक्षा हो। इससे चुनावी शोर-शराबे और बार-बार आचार संहिता लागू होने से होने वाली आर्थिक हानि को भी रोका जा सकेगा।

अमित शाह के संकेत और कैबिनेट की मंजूरी

गृह मंत्री अमित शाह ने सरकार के 100 दिन पूरे होने के मौके पर ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ पर अपनी राय व्यक्त करते हुए कहा था कि यह समय की मांग है। शाह ने कहा था कि देश में बार-बार चुनाव होने से विकास कार्य बाधित होते हैं और प्रशासनिक व्यवस्था पर अनावश्यक दबाव पड़ता है। इसके बाद सरकार ने विशेषज्ञों और संवैधानिक संस्थाओं से परामर्श करके इस योजना को अमलीजामा पहनाने की दिशा में कदम बढ़ाया।

अब कैबिनेट ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है, जिससे यह साफ हो गया है कि सरकार इसे जल्द से जल्द लागू करने के लिए तैयार है। हालांकि, इसे लागू करने के लिए संवैधानिक संशोधन की भी आवश्यकता होगी, क्योंकि संविधान में राज्यों और केंद्र के चुनाव अलग-अलग समय पर कराए जाने की व्यवस्था है।

संभावित लाभ

इस फैसले के कई फायदे हो सकते हैं। सबसे बड़ा लाभ है कि इससे चुनावी प्रक्रिया में लगने वाले समय और संसाधनों की बचत होगी। हर साल या दो साल में एक राज्य या दूसरे में चुनाव होते हैं, जिससे राजनीतिक अस्थिरता और चुनावी खर्च बढ़ता है। एक साथ चुनाव होने से प्रशासनिक खर्च, सुरक्षा बलों की तैनाती और चुनावी प्रचार पर होने वाले खर्च में भारी कमी आएगी।

चुनौतियां

हालांकि इस योजना को लागू करने में कुछ चुनौतियां भी हैं। सबसे बड़ी चुनौती यह है कि यदि किसी राज्य की सरकार समय से पहले गिर जाती है, तो उसके लिए क्या विकल्प होगा? इसके अलावा, सभी राजनीतिक दल इस प्रस्ताव पर एकमत नहीं हैं। कई विपक्षी दलों ने इसे लेकर अपनी आशंकाएं जताई हैं।

निष्कर्ष

‘वन नेशन वन इलेक्शन’ का प्रस्ताव भारतीय लोकतंत्र में एक महत्वपूर्ण बदलाव हो सकता है। इसका उद्देश्य देश में राजनीतिक स्थिरता लाना, चुनावी खर्च कम करना और विकास कार्यों में तेजी लाना है। लेकिन इसे लागू करने के लिए व्यापक सहमति और संवैधानिक संशोधन की जरूरत होगी।

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