Ramnath Kovind : रामनाथ कोविंद ने तिरुपति मंदिर प्रसाद मामले में व्यक्त की चिंता

Ramnath Kovind : रामनाथ कोविंद ने तिरुपति मंदिर प्रसाद मामले में व्यक्त की चिंता

Ramnath Kovind :पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने तिरुपति मंदिर के प्रसाद विवाद पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि इस तरह की घटनाओं से श्रद्धालुओं की आस्था पर असर पड़ता है। उन्होंने कहा कि हिंदू धर्म में प्रसाद का विशेष महत्व है और इसे अपवित्र या अनदेखा करना बड़ा पाप माना जाता है।

Ramnath Kovind : पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने हाल ही में तिरुपति मंदिर के प्रसाद वितरण विवाद पर प्रतिक्रिया दी है। इस मुद्दे पर उन्होंने कहा कि हिंदू धर्म में इसे पाप जैसा माना जाता है। तिरुपति मंदिर, जो विश्व के सबसे प्रतिष्ठित हिंदू धार्मिक स्थलों में से एक है, अपने प्रसाद के लिए भी प्रसिद्ध है। हाल ही में प्रसाद वितरण में हुई अनियमितताओं को लेकर विवाद खड़ा हुआ है, जिससे भक्तों में निराशा और नाराजगी देखी गई।

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रामनाथ कोविंद ने इस विवाद पर बोलते हुए कहा कि प्रसाद, जिसे देवता का आशीर्वाद माना जाता है, उसकी अनदेखी या अनादर करना हिंदू धर्म के सिद्धांतों के खिलाफ है। उन्होंने यह भी कहा कि धार्मिक स्थलों से जुड़ी आस्था और विश्वास को बनाए रखना अत्यंत आवश्यक है। तिरुपति मंदिर न केवल धार्मिक स्थल है, बल्कि लाखों भक्तों की आस्था और विश्वास का केंद्र भी है, इसलिए वहां की व्यवस्थाओं में कोई कमी नहीं होनी चाहिए।

इस विवाद की शुरुआत उस वक्त हुई जब कुछ भक्तों ने प्रसाद वितरण में अनियमितताओं की शिकायत की। इसके बाद मंदिर प्रशासन पर भी सवाल उठने लगे। तिरुपति मंदिर के प्रसाद की प्रसिद्धि दूर-दूर तक फैली है, और इसे देवी-देवताओं का आशीर्वाद मानते हुए भक्त इसे घर लेकर जाते हैं। ऐसे में प्रसाद वितरण में किसी भी तरह की अनियमितता भक्तों की आस्था पर गहरा प्रभाव डाल सकती है।

पूर्व राष्ट्रपति कोविंद का यह बयान उस समय आया है जब तिरुपति मंदिर प्रशासन इन अनियमितताओं को ठीक करने के लिए कदम उठा रहा है। उन्होंने भक्तों को भरोसा दिलाया कि मंदिर प्रशासन इस मुद्दे को गंभीरता से ले रहा है और जल्द ही प्रसाद वितरण की प्रक्रिया को सुधारने के लिए उपाय किए जाएंगे।

इस पूरे विवाद ने तिरुपति मंदिर के महत्व और वहां की परंपराओं के प्रति लोगों की गहरी आस्था को एक बार फिर से उजागर किया है। रामनाथ कोविंद के बयान से इस बात पर जोर दिया गया है कि धार्मिक स्थलों की पवित्रता बनाए रखना बेहद जरूरी है, और मंदिर प्रशासन को इस दिशा में सख्त कदम उठाने चाहिए ताकि भविष्य में ऐसी समस्याओं से बचा जा सके।

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