मणिपुर में राष्ट्रपति शासन तुरंत लागू होना चाहिए – ZCSC

मणिपुर में राष्ट्रपति शासन तुरंत लागू होना चाहिए – ZCSC

ZCSC ने PM मोदी को पत्र में कहा कि NIA को मणिपुर (Manipur) में आदिवासियों पर हमलों की मूल वजहों की जांच करनी चाहिए और Manipur में राष्ट्रपति शासन तुरंत लागू होना चाहिए

जोमी-कुकी संगठन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मणिपुर राज्य में जारी संघर्ष के स्थायी समाधान की भी मांग की। ZCSC ने PM मोदी को लिखे पत्र में कहा कि NIA को मणिपुर (Manipur) में आदिवासियों पर हमलों की मूल वजहों की जांच करनी चाहिए और AFSPA को फिर से सभी घाटी जिलों में लागू करना चाहिए, ताकि सेना राज्य पर नियंत्रण ले सके।

मैतेई समुदाय के संगठन, COCOMI, ने केंद्र से कुकी समुदाय से बातचीत करने से मना किया

3 मई से मणिपुर (Manipur) में हिंसा जारी है। यही कारण है कि मणिपुर में राष्ट्रपति शासन की मांग होने लगी है। मणिपुर की नौ कुकी जनजातियों का प्रतिनिधित्व करने वाली ZCSC (जोमी काउंसिल संचालन समिति) ने यह मांग की है। उधर, मैतेई समुदाय का एक संगठन, COCOMI, ने केंद्र से कुकी समुदाय से बातचीत करने से इनकार कर दिया है।

ZCSC ने इस पत्र में प्रधानमंत्री को संबोधित करते हुए कहा कि देश के इस संवेदनशील और रणनीतिक पूर्वी भाग में शांति और सामान्य स्थिति को बहाल करने के लिए आप (प्रधानमंत्री) को तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए। पत्र में कहा गया है कि मणिपुर राज्य में संवैधानिक और कानून-व्यवस्था की विफलता से अनुच्छेद 356 (राष्ट्रपति शासन) को तुरंत लागू करना आवश्यक है।

सुरक्षाबलों से लाखों गोला-बारूद और 5000 से अधिक हथियार लूटे गए – ZCSC

मणिपुर (Manipur)

ZCSC ने दावा किया कि राज्यभर से सुरक्षाबलों से लाखों गोला-बारूद और 5000 से अधिक अत्याधुनिक हथियार लूटे गए हैं। सेना पूर्ण नियंत्रण पाने के लिए घाटी के सभी जिलों में फिर से सशस्त्र बल (विशेष अधिकार) अधिनियम लागू किया जाए।

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कमेटी ने पीएम को लिखे पत्र में यह भी कहा कि कुकी-जोमी आदिवासियों को कई दशकों से भेदभाव, अन्याय और संस्थागत उपेक्षा मिली है। वायरल वीडियो क्लिप, जिसने दुनिया भर में आक्रोश फैलाया, मणिपुर (Manipur) में चल रहे संघर्ष का एकमात्र उदाहरण है। इस पत्र में दो कुकी महिलाओं के साथ हुई दरिंदगी का एक वीडियो उल्लेख किया गया है। यह घटना 4 मई को हुई थी और 19 जुलाई इसका वीडियो वायरल हुआ था।

कुकी उग्रवादी समूहों में विदेशी भी शामिल

दूसरी ओर, मणिपुर (Manipur) में मैतेई लोगों का प्रतिनिधित्व करने वाली संस्था COCOMI ने मंगलवार को केंद्र से कुकी उग्रवादी समूहों से बातचीत नहीं करने की अपील की। समिति का दावा है कि यही गुट राज्य में होने वाली हिंसा के लिए जिम्मेदार हैं। संस्था ने कहा कि विदेशी कुकी उग्रवादी समूहों में शामिल हैं।

इंफाल में मीडिया को संबोधित करते हुए, COCOMI के संयोजक जीतेंद्र निंगोम्बा ने कहा, “हमें मीडिया के सूत्रों से जानकारी मिली है कि भारत सरकार बुधवार को कुकी संगठनों के साथ बातचीत करने वाली है।” हम इसके खिलाफ हैं। सरकार को किसी भी कुकी समूह से बातचीत नहीं करनी चाहिए, जिन्होंने पहले सरकार के साथ सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशंस (एसओओ) समझौते पर हस्ताक्षर किए थे।

मणिपुर में हिंसा को रोकने के लिए राज्य और केंद्र सरकार ने कम कार्रवाई की – क अथौबा

जीतेंद्र ने कहा कि COCOMI 29 जुलाई को एक रैली करके अपनी मांग पर जोर देगी कि राज्य की क्षेत्रीय अखंडता को खतरा नहीं है और किसी नए प्रशासन की अनुमति नहीं दी जाएगी। उधर, दिल्ली में COCOMI के प्रवक्ता क अथौबा ने मणिपुर में हिंसा को रोकने के लिए राज्य और केंद्र सरकार पर कम कार्रवाई का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि गुजरात में 2002 के दंगों को चार दिन में नियंत्रित कर लिया गया था, तो मणिपुर में हिंसा को क्यों नहीं रोका गया?

(Manipur) मणिपुर हिंसा ने 160 से अधिक लोगों की जान ली

3 मई को कुकी समुदाय ने मणिपुर में ‘आदिवासी एकता मार्च’ निकाला था जिसमे हिंसा हुई। इस दौरान मैतेई और कुकी समुदायों में हिंसक झड़प हुई। तब से वहां की स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है। हिंसा ने अब तक 160 से अधिक लोगों की जान ले दी है। मणिपुर की आबादी में लगभग 53% मैतेई हैं, जिनमें से अधिकांश इम्फाल घाटी में रहते हैं. शेष 40% आदिवासी हैं (मुख्य रूप से नागा और कुकी) और पहाड़ी जिलों में रहते हैं।

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