6 मोहर्रमुल हराम – ज़िक्र शोहदा-ए-करबला (Zikr Shohada-e-Karbala)

6 मोहर्रमुल हराम – ज़िक्र शोहदा-ए-करबला (Zikr Shohada-e-Karbala)

6 मोहर्रमुल हरामज़िक्र शोहदा-ए-करबला (Zikr Shohada-e-Karbala), तुम्हारी नस्ल से मोहम्मद स0अ0व0 का नाम क़यामत तक जिन्दा रहेगा – कारी अनवर साहब

लखनऊ, ज़िक्र शोहदा-ए-करबला 6 मोहर्रमुल हराम 1445 हिजरी दरगाहे अकदस हज़रत ख्वाजा मोहम्मद नबी रज़ा शाह अल मारूफ दादा मियाँ (Dargah Dada Miyan) र0अ0, खानक़ाह शाहे रज़ा में ज़िक्र शोहदा-ए-करबला (Zikr Shohada-e-Karbala) का आगाज़ मस्जिद शाहे रज़ा के पेशे इमाम हाफिज व कारी अनवर साहब ने तिलावते कलामे पाक से किया। उसके बाद दारूलउलूम शाहे रज़ा के तलवा ने इमाम हुसैन रजि0 की शान में नातो मनकबत पेश की।

जलसे को ख़िताब करते हुए हाफिज़ व कारी अनवर साहब ने अपने ख़िताब में फ़रमाया, जब आप कांपते हुये हाथों से असगर ए मासूम का लाश दफन कर चुके और खेमे में रूखसती के लिए गये तो एक कोहराम बरपा था।

तुम्हारी नस्ल से मोहम्मद स0अ0व0 का नाम क़यामत तक जिन्दा रहेगा – ज़िक्र शोहदा-ए-करबला

ज़िक्र शोहदा-ए-करबला Zikr Shohada-e-Karbala

उन्होंने कहा, बीमारे करबला हज़रते इमाम जैनुलआबेदीन अ0स0 ने जा निसारी की इजाज़त चाही लेकिन आपने फरमाया कि तुम्हारी नस्ल से मोहम्मद स0अ0व0 का नाम क़यामत तक जिन्दा रहेगा, ये फरमाकर सबसे रूखसत हुये, और मैदाने कराजार मे तशरीफ लाये।

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सय्यदुश्शोहदा कई रोज़ के भूखे प्यासे हैं, लेकिन चूकि हाथों में ख़ुदा और रसूल स0अ0व0 की कुव्वत है लिहाज़ा हर हर हम्ले में लाशों के ढेर लगा रहे हैं, लोग आते हैं हमला करते हैं लेकिन शेरे ख़ुदा के हाथों जहन्नम में जा रहे हैं, लश्करियों के होश उड़ रहे हैं मालूम होता है कि आज अली अ0स0 मैदाने कारजा़र में अपनी तलवार से काफिरो को जहन्नम में भेजते जा रहे हैं। जलसे का इख्तिेताम सलातो सलाम व दुआ पर हुआ।

ज़िक्र शोहदा-ए-करबला Zikr Shohada-e-Karbala

जलसे की सदारत दरगाह दादा मियाँ (Dargah Dada Miyan) के सज्जादा नशीन हज़रत ख्वाजा मोहम्मद सबाहत हसन शाह ने की। जलसे मे दूर दराज से आये तमाम जायेरीनों ने शिरकत की।

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